चांदनी चौक में शुरू हुआ तारों को भूमिगत करना
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: अगले वर्ष दिल्ली में आयोजित होने वाले आसियान सम्मेलन के मद्देनजर चां
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: अगले वर्ष दिल्ली में आयोजित होने वाले आसियान सम्मेलन के मद्देनजर चांदनी चौक को चमकाने का काम शुरू हो गया है। लटकते तारों को जहां एक साथ बड़े पाइप में डालकर व्यवस्थित किया जा रहा है, वहीं बिजली की मुख्य लाइन को भूमिगत करने की तैयारी है। बता दें कि इसके लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 25 दिसंबर की समय सीमा तय की है। तारों को व्यवस्थित करने को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस को ताकीद की थी। ऐसे में आखिरकार 14 सालों बाद चांदनी चौक को लटकते तारों से छुटकारा मिलने की उम्मीद दिखने लगी है।
तारों को भूमिगत करने के लिए जहां फुटपाथ और सड़क के बीच करीब तीन से चार फीट की खोदाई की जा रही है, वहीं दुकानों में जा रहे तारों को जक्शन बॉक्स तक मोटे पाइप के सहारे लाया जा रहा है। बता दें कि इस आशय की खबर दैनिक जागरण ने 13 सितंबर को प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि निगम ने लटकते तारों को भूमिगत करने के लिए बीएसईएस व एमटीएनएल समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। निगम ने स्पष्ट किया है कि अगर बिजली, टेलीफोन व केबल की तारों को व्यवस्थित नहीं किया गया तो उसे काट दिया जाएगा। इससे खासकर बिजली वितरण कंपनी में हलचल देखने को मिली है। इस बारे में बीएसईएस के एक अधिकारी ने बताया कि तारों को व्यवस्थित करने का काम तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि तय समय सीमा के भीतर यह काम पूरा हो जाएगा। पहले चरण में गौरीशंकर मंदिर से फतेहपुरी मस्जिद तक और जामा मस्जिद क्षेत्र के तारों को व्यवस्थित किया जाना है। इस बारे में चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने कहा कि अगर तारों को भूमिगत करने का यह कार्य पूरा हो जाता है तो इससे चांदनी चौक की सुंदरता बढ़ जाएगी।
गौरतलब है कि चांदनी चौक में तारों को भूमिगत करने की योजना पर चर्चा पिछले 14 सालों से चलती आ रही है। वर्ष 2006 में चांदनी चौक के विकास के लिए गठित किए गए शाहजहांनाबाद पुनर्विकास बोर्ड की परियोजना में इसे शामिल किया गया था। इसके लिए वर्ष 2014 में फतेहपुरी मस्जिद से गौरीशंकर मंदिर तक जमीन के अंदर डक्ट भी डाला गया है, लेकिन बनावट में खामी के कारण बीएसईएस ने इसके उपयोग से मना कर दिया था। इसके बाद से लटकते तारों से निजात मिलने की उम्मीद धूमिल होने लग गई थी।