OROP: पूर्व फौजियों के समर्थन में वीके सिंह की बेटी भी उतरीं
वन रैंक वन पेंशन को ले कर आंदोलन कर रहे पूर्व फौजियों ने अपनी मांग के समर्थन में दबाव और बढ़ा दिया है। तीन पूर्व फौजी जहां पहले से ही आमरण अनशन पर बैठे हैं, वहीं रविवार को इन्होंने मार्च भी आयोजित किया। इसमें पूर्व फौजियों के साथ ही मौजूदा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वन रैंक वन पेंशन को ले कर आंदोलन कर रहे पूर्व फौजियों ने अपनी मांग के समर्थन में दबाव और बढ़ा दिया है। तीन पूर्व फौजी जहां पहले से ही आमरण अनशन पर बैठे हैं, वहीं रविवार को इन्होंने मार्च भी आयोजित किया। इसमें पूर्व फौजियों के साथ ही मौजूदा फौजियों के परिवार वाले भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की बेटी मृणालिनी भी पूर्व फौजियों का समर्थन करने पहुंचीं। उधर, सेना के गैर कमीशंड अधिकारियों के संगठन ने भी अपना क्रमिक अनशन शुरू कर दिया।
आंदोलनरत पूर्व फौजियों की अपील पर रविवार को उनकी मांग के समर्थन में मौजूदा सैन्यकर्मियों के परिवार वाले भी जंतर-मंतर पहुंचे। इन्होंने यहां से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च भी किया। यहां मौजूद कर्नल देवेंद्र शहरावत ने कहा कि जब उनके साथी अनशन पर बैठे हैं, ऐसे में एक-एक दिन की देरी बहुत लंबी हो रही है। सरकार की ओर से इस बारे में कोई पहल नहीं हो रही। यहां मौजूद लोगों में बढ़ती नाराजगी साफ देखी जा सकती है। 70वें दिन में पहुंचे इस आंदोलन में अब तक पूर्व सैनिक और उनकी पत्नियां ज्यादा दिखाई देती थीं। लेकिन रविवार को युवा भी बहुत बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
उधर, पूर्व गैर कमीशंड अधिकारियों और जवानों ने भी अपना क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। 'वॉयस आफ एक्स सर्विसमेन सोसाइटी' के बीर बहादुर सिंह ने कहा कि मौजूदा फार्मूले में जान की बाजी लगाने वाले जवानों के मुकाबले अफसरों को तवज्जो दी जा रही है। बेहद कम वेतन पर काम करने वाले सैनिकों को पेंशन के तौर पर वेतन का 70 फीसद मिलना चाहिए। पूर्व फौजियों की मांगों को सोशल मीडिया पर भी काफी समर्थन मिल रहा है। रविवार को राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष पांच हैशटैग में 'कैंडलमार्च फार ओआरओपी' शामिल रहा। हालांकि पांच दिन पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव और प्रधानमंत्री के विशेष दूत नृपेंद्र मिश्र से मुलाकात के बाद पूर्व फौजियों ने कहा था कि वे अगले दस दिन तक सरकार का इंतजार करेंगे और इस दौरान आंदोलन को तेज नहीं करेंगे।
15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए अपने भाषण में भरोसा दिलाया था कि वे इस मुद्दे का समाधान बहुत जल्द निकालेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर सरकार सिद्धांत रूप से सहमत है। सोमवार को सैन्य बलों के दस पूर्व प्रमुखों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर ना सिर्फ इस मांग का समर्थन किया था बल्कि यह भी कहा था कि इसमें देरी से मौजूदा सैन्य कर्मियों का मनोबल भी टूट रहा है।
वीके सिंह भी समर्थन में
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह भी पूर्व फौजियों की मांग को जल्द से जल्द लागू करने के पक्ष में हैं। इस संबंध में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिख चुके हैं। रविवार को उनकी बेटी मृणालिनी ने बताया कि इस पर वे दस पेज की चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिख चुके हैं। हालांकि अब तक इसका कोई जवाब उन्हें नहीं आया है। मंत्री होने के नाते वे खुद इस संबंध में सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
'पूर्व सैनिकों को उनका हक मिले'
पूर्व फौजियों के आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंचीं केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह की बेटी मृणालिनी से बातचीत के अंश-
सरकार से आपकी क्या मांग है?
पूर्व सैनिकों ने अपने हाथ, पैर और आंखें गंवाई हैं। क्या इनको इनका हक नहीं मिलना चाहिए? क्या हम एक एहसान भुला देने वाले देश हैं? क्या लोगों की रगों में खून सूख गया है जो हम अपने पूर्व सैनिकों के लिए जाग नहीं पा रहे?
सरकार अभी और बातचीत चाहती है...
अब आप किस चीज पर बातचीत करेंगे? क्या आप इनके हाथ लौटा पाएंगे? आंखें लौटा पाएंगे? या आप किसी शहीद की पत्नी को उसका पति लौटा पाएंगे? आप किसलिए बातचीत करेंगे?
पिता मंत्री हैं, ऐसे में आपका यहां शामिल होना...
मैं एक पूर्व फौजी की बेटी हूं, पूर्व फौजी की बहू हूं और एक फौजी की बीवी भी हूं। इसलिए यहां आई हूं।
क्या आपके पिताजी को दबाव बनाना चाहिए?
उन्होंने प्रधानमंत्रीजी को दस पेज की चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी का जवाब आने दीजिए। उसके बाद मैं इस पर कुछ बता पाऊंगी।
पीएमओ ने अपील की थी कि दस दिन के लिए आंदोलन रोक दिया जाए।
उन्होंने अगर अपील की थी तो पूर्व फौजियों से की होगी। इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है।