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वसुंधरा राजे के मामले में CBI को पक्ष बनाने की मांग

दिल्ली हाई कोर्ट ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया व उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सिंधिया के खिलाफ सरकारी जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को बेचने के आरोप मामले में सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांग है।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 07:56 PM (IST)
वसुंधरा राजे के मामले में CBI को पक्ष बनाने की मांग

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया व उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सिंधिया के खिलाफ सरकारी जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को बेचने के आरोप मामले में सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांग है।

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न्यायमूर्ति पीएस तेजी की खंडपीठ ने सीबीआइ को अपना पक्ष 7 दिसंबर तक दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सीबीआई को स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों न इस मामले में उसे भी पक्ष बनाया जाए और मामले की जांच उसे सौंप दी जाए। शुक्रवार को याची ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने, जांच सीबीआई को सौंपने व उसे पक्ष बनाने का आग्रह किया था।

पेश मामले में अधिवक्ता श्रीजना श्रेष्ठा ने याचिका दायर की है। याची ने आरोप लगाया कि वसुंधरा व दुष्यंत ने धौलपुर शहर में धौलपुर पैलेस के आसपास की 567 वर्गमीटर भूमि को गैरकानूनी रूप से अपनी होने का दावा किया। आरोप है कि दोनों ने इस भूमि को एनएचएआइ को दो करोड़ में बेच दिया। याचिका में बताया गया है कि एनएचएआइ ने यह जमीन वर्ष 2010 में राष्ट्रीय राजमार्ग-3 को चौड़ा करने के लिए खरीदी थी।

याचिका में निचली अदालत द्वारा गत अप्रैल में दिए उस फैसले को भी चुनौती दी गई है जिसमें वसुंधरा व दुष्यंत के खिलाफ सीबीआई द्वारा मुकदमे के लिए मंजूरी प्रदान न करने पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इन्कार कर दिया गया था।

याची के अनुसार सीबीआई ने गलत तरीके से उनकी शिकायत पर संज्ञान लेने से इन्कार कर दिया था। याची के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 में मंजूरी का प्रावधान नहीं है। इतना ही नहीं जनसेवक द्वारा किए गए अपराध पर संज्ञान लेने के लिए अदालत अधिकृत है। आरोपियों ने फर्जी तरीके से सरकारी एजेंसी के पास जमीन अपनी बताकर मुआवजा मांगा व एजेंसी ने उनके दावे को स्वीकार कर दो करोड़ रुपये दुष्यंत को दे दिए। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने अपने पद का दुरूपयोग कर जालसाजी की और सरकार को नुकसान पहुंचाया। ऐसे में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच सीबीआई के सुपुर्द करने का निर्देश दिया जाए।


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