सीबीआई कोर्ट ने कहा 'आरोपों पर चुप्पी साधे रहना आरोपी का है मौलिक अधकिार'
पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आरोपियों का मौलिक अधिकार है कि वह जांच एजेंसी द्वारा पेश दस्तावेजों को स्वीकारने व नकारने के दौरान चुप्पी साधे रहें।
नई दिल्ली । पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आरोपियों का मौलिक अधिकार है कि वह जांच एजेंसी द्वारा पेश दस्तावेजों को स्वीकारने व नकारने के दौरान चुप्पी साधे रहें।
न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष सीआरपीसी की धारा-294 के तहत अदालत में दस्तावेजों को स्वीकारने व नकारने को लेकर सुनवाई चल रही थी। उक्त मामले में पूर्व कायला सचिव सहित पांच अन्य आरोप हैं। अदालत ने कहा कि पेश दस्तावेजों की प्रमाणिकता को लेकर आरोपियों ने अपनी चुप्पी साधे रखने के अधिकार का इस्तेमाल किया है।
सीआरपीसी-294 का प्रावधान ट्रायल में समय बरबाद होने वाले समय को बचाने के लिए किया गया था। संविधान के अनुछेद 20(3) के मुताबिक सभी नागरिकों को चुप रहने का अधिकार है। लिहाजा उक्त मामले में आरोपियों को अपने इस अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता।
अभियुक्त एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ अधिकारी केएस करोपहा व केसी समरिया, कंपनी केएसएसपीएल के डायरेक्टर पवन कुमार आहलुवालिया, चार्टड अकाउंटेंट अमित गोयल ने अदालत के समक्ष चुप रहने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।
लिहाजा उन्हें दस्तावेजों की असलियत को प्रमाणित करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता। अदालत ने 10 दिसंबर से मामले में ट्रायल शुरू करने का निर्णय लिया है। सह मामला मध्य प्रदेश में केएसएसपीएल कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटित करने से जुृड़ा है।