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कैट्स की हड़ताल, निजी एंबुलेंस चालक मालामाल

किशन कुमार नई दिल्ली निजीकरण न करने व कर्मचारियों को तीन महीने से रुके हुए वेतन

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 09:50 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 06:25 AM (IST)
कैट्स की हड़ताल, निजी एंबुलेंस चालक मालामाल
कैट्स की हड़ताल, निजी एंबुलेंस चालक मालामाल

किशन कुमार, नई दिल्ली

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निजीकरण न करने व कर्मचारियों को तीन महीने से रुके हुए वेतन को जारी करने की मांग को लेकर पिछले छह दिनों से चल रही कैट्स एंबुलेंस की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। आपातकालीन स्थिति में कैट्स एंबुलेंस न मिलने के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ रहा है, जो मरीजों से मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं।

शनिवार को भी छठे दिन कैट्स एंबुलेंस चालकों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर सद्बुद्धि के लिए हवन का आयोजन किया। ऐसे में शनिवार को भी आपात स्थिति में अस्पताल पहुंचने वाले मरीज एंबुलेंस के लिए परेशान होते रहे। इसका फायदा उठाकर निजी एंबुलेंस चालक 100 मीटर की दूरी के लिए दोगुनी रकम वसूल रहे थे। आलम यह था कि जीबी पंत से लोकनायक अस्पताल तक का किराया दो सौ रुपये से लेकर तीन सौ तक मरीजों से लिया गया। आम दिनों में यह किराया महज सौ से डेढ़ सौ रुपये ही होता है। वर्तमान में कैट्स में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की संख्या करीब 30 है, लेकिन हड़ताल के कारण इन दिनों गंभीर मरीजों को यह सेवा नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में अस्पतालों के बाहर सामान्य एंबुलेंस के साथ-साथ एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस(एलएसएस) की संख्या भी बढ़ रही है। जोकि गंभीर मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए मनमाने पैसे वसूल रहे हैं।

अस्पतालों में नहीं दिखीं कैट्स एंबुलेंस

दिल्ली सरकार के बड़े अस्पतालों में शुमार लोकनायक व जीबी पंत अस्पताल समेत केंद्र सरकार के अस्पताल आरएमएल में भी शनिवार को आपातकालीन विभाग में एक भी कैट्स एंबुलेंस नहीं दिखी। वहीं, कैट्स एंबुलेंस सर्विस के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले का हल किया जा रहा है। कर्मचारियों को रुका हुआ वेतन दिया जाएगा। ऑटो से भी पहुंच रहे मरीज

निजी एंबुलेंस की मनमानी के चलते मरीज अपने वाहन से भी पहुंच रहे हैं। वहीं जिनके लिए यह संभव नहीं है, वह ऑटो की मदद ले रहे हैं। शनिवार को भी लोकनायक के आपातकालीन विभाग में मरीज ऑटो से पहुंच रहे थे। वहीं, कुछ मरीज ऐसे भी दिखे जो गंभीर हालत में दोपहिया वाहनों से पहुंच रहे थे। इसमें अधिकतर तीमारदारों ने कैट्स एंबुलेंस का न मिलना कारण बताया। मरीजों का कहना था कि सेवा के लिए कैट्स को कॉल की थी, लेकिन हड़ताल की बात कहकर उन्होंने सेवा देने से इन्कार कर दिया। 1100 मरीजों को प्रतिदिन पहुंचाती हैं कैट्स एंबुलेंस कैट्स के बेड़े में 265 एंबुलेंस हैं। इससे प्रतिदिन करीब 1100 मरीजों को आपात स्थिति में अस्पताल पहुंचाया जाता है। कैट्स एंबुलेंस यूनियन के अध्यक्ष नरेंद्र लाकड़ा ने बताया कि रिकॉर्ड के मुताबिक एक दिन में कैट्स के पास करीब 1200-1300 कॉल आती हैं। इसमें कुछ कॉल फर्जी भी होती हैं। बाकी मामलों में आपसी झगड़ा, सुसाइड, डिलीवरी व आपदा के मामले शामिल होते हैं। इसमें करीब 50 फीसद कॉल डिलीवरी के लिए आती हैं। ऐसे में प्रतिदिन करीब 1100 मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। इधर शनिवार दोपहर तक मात्र एक ही एंबुलेंस सड़क पर रही। जिसे हजयात्रा की ड्यूटी के लिए आइजीआइ एयरपोर्ट पर लगाया गया था, लेकिन दोपहर बाद वह भी खड़ी कर दी गई। हड़ताल के कारण कैट्स एंबुलेंस सुविधा नहीं मिली। ऐसे में मजबूरी में ऑटो का महंगा किराया देकर यहां पहुंचा हूं। इससे आर्थिक बोझ भी पड़ा है।

-जहूर जीबी पंत अस्पताल से लोकनायक अस्पताल तक मरीज को लाने के लिए कैट्स को कॉल किया था, लेकिन इसकी सुविधा नहीं मिली। ऐसे में निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ा।

-तजिदर पिछले तीन महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इसके साथ ही कैट्स का निजीकरण करने की भी बात चल रही है। हम लोग इसके विरोध में हैं। कैट्स से लगभग 1600 लोगों के साथ उनका परिवार भी जुड़ा हुआ है। यदि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो मंगलवार से हम लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठकर अपना विरोध जताएंगे।

-नरेंद्र लाकड़ा, अध्यक्ष, कैट्स एंबुलेंस स्टॉफ यूनियन


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