Move to Jagran APP

दिल्ली में बढ़ा नकद भुगतान का चलन, उधार को कारोबारी भी कह रहे 'NO'

दिल्ली के बाजारों में अब उधारी में लेनदेन 80 फीसद से घटकर महज 20 फीसद तक पर आ गया है। खासकर दिल्ली के थोक बाजारों में उसी से व्यवहार हो रहा है जो नकद भुगतान कर रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 09:58 AM (IST)
दिल्ली में बढ़ा नकद भुगतान का चलन, उधार को कारोबारी भी कह रहे 'NO'
दिल्ली के बाजारों में नकद भुगतान की सांकेतिक फोटो।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। कोरोना काल में बिगड़ी अर्थव्यवस्था ने बाजारों के अर्थशास्त्र को भी प्रभावित किया है। सदियों से उधार पर व्यापार चलाने वाले बाजार फिलवक्त नकदी को तरजीह दे रहे हैं। लॉकडाउन व कोरोना के चलते लोग के पास नकदी की कमी है तो इस चलते उद्यमी, वितरक, कारोबारी और छोटे दुकानदारों के बीच पीढि़यो से बनी विश्वास की डोर टूट रही है। उधारी में लेनदेन 80 फीसद से घटकर महज 20 फीसद तक पर आ गया है। खासकर थोक बाजारों में उसी से व्यवहार हो रहा है, जो नकद भुगतान कर रहा है। या पहले का बकाया चुकाने के बाद उधारी का क्रम बरकरार रखने की स्थिति में है। चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, सदर बाजार, नया बाजार व कूचा महाजनी समेत पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों का यहीं हाल है, जिसका अधिकांश कारोबार दशकों से विश्वास के आधार पर उधारी पर चलता आ रहा था। पर कोरोना ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं।

loksabha election banner

द बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन, कूचा महाजनी के अध्यक्ष योगेश सिंघल कहते हैं कि इसमें कई कारक एक साथ प्रभावित कर रहे हैं। एक तो लॉकडाउन में कई माह दुकानें बंद रहने से उत्पादकों व व्यापार से जुड़े हर लोग के पास नकदी का संकट पैदा हो गया। दोबारा उत्पादन और बाजार शुरू हुआ तो पर संकट दूर नहीं हुआ है। कई लोग पहले का ही बकाया चुका पाने की स्थिति में नहीं है। ऊपर से कोरोना संक्रमण का डर है। कई कारोबारी-दुकानदार इससे संक्रमित हुए। कई का निधन हुआ। ऐसे में उधार देने में रकम डूबने का खतरा भी है।

बृजेश गोयल (चेयरमैन, चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री) के अनुसार, थोक बाजारों में 70 से 80 फीसद कारोबार उधारी पर होता आ रहा था। उधारी का चक्र 30 से 60 दिन का होता था। पर अब ऐसा नहीं है। पहले उधार वसूलने के लिए दिल्ली के कारोबारी दूसरे राज्यों में जाते थे। पर कोरोना संक्रमण के डर के चलते वह नहीं जा रहे हैं। इसलिए वह उधारी से बचना चाह रहे हैं। दूसरे, उत्पादक आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं। इसलिए वह माल नकद में दे रहे हैं तो फिर वहीं क्रम आगे तक चलता जा रहा है। 

आशीष ग्रोवर (सचिव, दिल्ली ड्रग ट्रेडर्स एसोसिएशन) ने बताया कि व्यापार घाटा, कोरोना बीमारी का संक्रमण, किश्त व अन्य खर्च के भी मामले हैं, जिसके चलते उधार चुकाने में दिक्कतें आ रही है। उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक सामान पहुंचने में कई कडि़यां है। एक कड़ी भी प्रभावित हुई तो पूरी व्यवस्था प्रभावित होगी। उधारी के मामले में यहीं हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग तय समय में उधार चुकाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। चेक बाउंस होने के मामले बढ़े हैं। 

राजेंद्र शर्मा (महामंत्री, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन) का कहना है कि कोरोना के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई है। कारोबार भी प्रभावित है। मुश्किल से 50 फीसद कारोबार हो रहा है। आगे यह हालात कब सुधरेंगे, इसपर कोई दावा नहीं कर सकता है। इसलिए कारोबारी भविष्य के आधार पर कारोबार करने से बच रहे हैं। नकद कारोबार फिलहाल सुरक्षित लग रहा है। इसलिए बाजार इसपर ही दांव लगा रहा है। उधारी के मामले काफी सीमित हो गए हैं। 

सुरेश बिंदल (पूर्व अध्यक्ष, द हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन) की मानें तो इस समय पुराने बकाया को निपटाने पर जोर ज्यादा है। क्योंकि तीन साल बाद पुराने उधारी पर कानूनी लड़ाई कमजोर हो जाती है। तो एकाउंट को पुराना-नया किया जा रहा है। मतलब पुराना बकाया लेकर ही नया उधार दिया जा रहा है। जो ग्राहक यह नहीं कर रहा, उसे नई उधारी नहीं दी जा रही है। इसलिए उधारी के मामले में काफी गिरावट आई है। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.