क्या ऑड-ईवन फॉर्मूले पर एक हफ्ते में लग सकती है रोक ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या ऑड-ईवन योजना पर एक हफ्ते में रोक लगाना संभव है। मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी को होगी।
नई दिल्ली। राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था न होने व सम-विषम योजना से लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या इस योजना पर एक हफ्ते में रोक लगाना संभव है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने योजना को लेकर दायर सरकार की स्टेटस रिपोर्ट को अस्पष्ट बताया।
पीठ ने निर्देश दिया कि सरकार योजना में छूट दी गई डीजल टैक्सी व सीएनजी कारों से होने वाले प्रदूषण पर रिपोर्ट पेश करे। एक से सात जनवरी तक प्रदूषण पर भी विस्तृत रिपोर्ट दे। मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी को होगी। पीठ ने सरकार से कहा कि आपके पास पूरी तरह से सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद लोगों ने परेशानी झेलते हुए सहयोग किया है। आप तय कर सकते हैं कि एक सप्ताह में प्रदूषण कम हुआ है या नहीं। फिर इसे जबरदस्ती क्यों दो सप्ताह तक जारी रखना चाहते हैं। यह ठीक है कि लोगों ने सहयोग किया है, लेकिन आपको यह भी देखना चाहिए कि इससे डॉक्टरों, वकीलों, जजों व अन्य लोगों को कितनी परेशानी हो रही है।
पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वह सरकार से बात कर बताएं कि यह पायलट प्रोजेक्ट शुक्रवार को खत्म हो सकता है या नहीं। अदालत ने यह सवाल भी उठाया कि डीजल कैब पर दिल्ली में प्रतिबंध है, इसके बावजूद वे कैसे चल रही हैं। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इस योजना के लागू होने के बाद से प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। हम डाटा एकत्रित कर रहे हैं। उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि दोपहिया वाहनों को मात्र इस कारण छूट दी गई है क्योंकि इसमें पूलिंग के सीमित विकल्प हैं।