कॉल ड्रॉप से लोग परेशान, काम बिगाड़ रहा मोबाइल नेटवर्क
राजधानी में कॉल ड्रॉप की समस्या नई नहीं हैं लेकिन कोरोना के बाद स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं का बढ़ा प्रचलन और वीडियों कांफ्रेसिग के जरिए होने वाली बैठकों और कार्यक्रमों ने इसे और बढ़ा दिया है। मोबाइट डाटा का बड़ा खर्च दिल्ली-एनसीआर में कॉल ड्राप की समस्या को और बढ़ा रहा है। इसकी वजह से अब लोग मोबाइल नेटवर्क की बजाय वाट्सएप या दूसरे इंटरनेट कॉलिग एप का पर निर्भर हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
राजधानी में कॉल ड्रॉप की समस्या नई नहीं हैं, लेकिन कोरोना के बाद स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं का बढ़ा प्रचलन और वीडियो कान्फ्रेंसिग के जरिये होने वाली बैठकों और कार्यक्रमों ने इसे और बढ़ा दिया है। असल में मोबाइल डाटा का ज्यादा इस्तेमाल दिल्ली-एनसीआर में कॉल ड्राप की समस्या को और गंभीर बना रहा है।
कॉल ड्रॉप की समस्या के चलते बहुत से लोगों के बनते काम बिगड़ जाते हैं। इस वजह से लोग अब मोबाइल नंबर पर कॉल करने के बजाय इंटरनेट के जरिये वाट्सएप या दूसरे इंटरनेट कॉलिग एप पर बातचीत करना पसंद करने लगे हैं।
कॉल ड्रॉप की समस्या इस हद तक बढ़ चुकी है कि लोगों को अक्सर जरूरी फोन कॉल आने पर बात करने के लिए घर हो या दफ्तर या तो छत की तरफ दौड़ना पड़ता है या कोई खुली जगह तलाशनी होती है।
बहुत से लोगों के घर पर एक कंपनी का नेटवर्क नहीं आता, तो दफ्तर में दूसरी कंपनी का, ऐसे में उन्हें दो अलग-अलग कंपनियों के सिम कार्ड और प्लान खरीदने पड़ते हैं।
वहीं, बहुत से लोगों की शिकायत यह भी है कि उनके मोबाइल में नेटवर्क के स्टेटस बार में तो नेटवर्क दिख रहा होता है, लेकिन न तो फोन कॉल कर पाते हैं और न ही इंटरनेट चल रहा होता है। यह कुछ समय की समस्या नहीं है, वर्षो से लोग इससे जूझ रहे हैं, कई लोग तो इसके लिए फोन भी बदलकर देख चुके हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि समस्या नेटवर्क में है।
पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में रहने वाले नवीन पांडेय एक निजी कंपनी में काम करते हैं। वे बताते हैं उनके घर एक कंपनी का नेटवर्क आता है, वहीं दफ्तर दूसरी कंपनी का इस वजह से मजबूरी में उन्हें दो अलग-अलग कंपनियों के सिम कार्ड और प्लान खरीदने पड़ते हैं।
इसी तरह से आरकेपुरम में रहने वाली चंचल बताती हैं कि कॉल ड्रॉप की बहुत ज्यादा समस्या है। घर में रहकर तो कभी मोबाइल कॉल कर ही नहीं पाती हैं। जब भी किसी से बात करनी होती है या कोई कॉल आए तो उन्हें बालकनी में आना पड़ता है। कई बार नेटवर्क कवरेज से बाहर होने के कारण बात नहीं पाती और दफ्तर से लेकर रिश्तेदारों तक के ताने सुनने पड़ते हैं। --------------
इन्फोग्रफिक
दिल्ली में कुल 28 हजार हैं मोबाइल टावर
- एनडीएमसी और दिल्ली कैंट इलाके में हैं 16 हजार से ज्यादा मोबाइल टावर
- 2184 मोबाइल टावर हैं पूर्वी दिल्ली निगम क्षेत्र में
- 4920 मोबाइल टावर हैं दक्षिणी दिल्ली निगम क्षेत्र में
- 4000 मोबाइल टावर हैं उत्तरी दिल्ली निगम क्षेत्र में
-16700 किलोमीटर लंबा फाइबर केबल नेटवर्क है दिल्ली में
- 4 हजार के करीब मोबाइल टावर लगाने के आवेदन स्थानीय निकायों में हैं लंबित
- 2024 तक 18 हजार नए मोबाइल टावर की होगी जरूरत कॉल ड्रॉप टेलिकॉम कंपनियों की दलीलें
- दो करोड़ के करीब मोबाइल कनेक्शन हैं दिल्ली में जिनके लिहाज से जरूरी संख्या में मोबाइल टावर नहीं हैं
- मोबाइल नेटवर्क के लिए बूस्टर लगाना है प्रतिबंधित, लेकिन बाजारों से लेकर रिहायशी क्षेत्रों में जगह-जगह बूस्टर लगे हैं
- 30 फीसद नेटवर्क को बाधित कर रहे हैं अवैध बूस्टर
- आरडब्ल्यूए के इलाके में अक्सर लोग मोबाइल टावर लगाने पर विरोध करते हैं
-नेटवर्क को ठीक करने के लिए 400 मोबाइल टावर लगाए गए हैं पूरी दिल्ली में इन इलाकों में कॉल ड्रॉप की बड़ी समस्या
- आइपी एक्सटेंशन, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, निर्माण विहार, विवेक विहार, पंजाबी बाग, आरकेपुरम, पटपड़गंज, वसंत कुंज, साकेत, सरिता विहार, सदर बाजार, करोल बाग, चांदनी चौक, पहाड़गंज, करावल नगर, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, यमुना विहार, इंद्रपुरी, दरियागंज, आइटीओ वर्जन
दूसरे देशों की तुलना में भारत में डाटा और वॉइस कॉल की दरें बहुत ही कम हैं, जबकि टेलीकॉम कंपनियों को मंहगे स्पेक्ट्रम लेने पड़ते हैं। दिल्ली में फिलहाल 28 हजार के करीब मोबाइल टॉवर हैं जबकि वर्ष 2024 तक 18 हजार और मोबाइल टावरों की जरूरत होगी। 3887 टॉवरों को लगाने के आवेदन स्थानीय निकायों के समक्ष मंजूरी के लिए लंबित पड़े हैं।
- एसपी कोचर, महानिदेशक, सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया