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चार साल में तीन मंत्री, फिर भी बस सेवा बदहाल

नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली देहात की परिवहन व्यवस्था चौपट ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 07:53 PM (IST)
चार साल में तीन मंत्री,
फिर भी बस सेवा बदहाल
चार साल में तीन मंत्री, फिर भी बस सेवा बदहाल

नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली

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आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली देहात की परिवहन व्यवस्था चौपट हो गई। चार साल में परिवहन विभाग को गोपाल राय, सत्येंद्र जैन और कैलाश गहलोत के रूप में तीन मंत्री मिले। सभी ने विश्वस्तरीय परिवहन सेवा मुहैया कराने का दंभ भरा, लेकिन कड़वा सच यही है कि बसों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती चली गई। ऐसे हालात को देखते हुए ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। एक साल पहले हुए बवाना उपचुनाव में पार्टी बेशक जीत गई, लेकिन अधिकतर गांवों में पार्टी तीसरे नंबर पर रही। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी के प्रति नाराजगी व्याप्त है।

सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत दी गई जानकारी से दिल्ली देहात में परिवहन व्यवस्था की खस्ता हालत का पर्दाफाश हुआ। यह जानकारी आरटीआइ कार्यकर्ता सुंदरलाल खत्री ने मांगी थी। इसके जवाब में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के जन सूचना अधिकारी ने जानकारी दी कि 31 मार्च 2011 को दिल्ली परिवहन निगम के बेड़े में 6197 बसें थीं, जिनकी संख्या घटकर अब केवल 4020 रह गई है। इनमें 2745 नॉन एसी और 1275 एसी बसें हैं। इस बीच नई बसें नहीं खरीदी गईं। इसलिए रूटों पर बसों के फेरे में भी कटौती की गई।

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आप सरकार में देहात की उपेक्षा : आरटीआइ कार्यकर्ता

आरटीआइ कार्यकर्ता सुंदरलाल खत्री ने बताया कि दिल्ली परिवहन निगम की बसें घटने का सबसे ज्यादा असर दिल्ली देहात पर पड़ा है। आज भी दिल्ली देहात का बहुत बड़ा इलाका मेट्रो रेल की सुविधा से वंचित है और परिवहन व्यवस्था भी चौपट है। आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में दिल्ली देहात के इलाके सबसे ज्यादा उपेक्षित रहे हैं। चौपट हो गई परिवहन व्यवस्था : पूर्व मंत्री

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान का कहना है कि हमलोगों के समय में पूरी कोशिश की गई कि दिल्लीवासियों को बेहतर बस सुविधा मिले। राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान नई बसें खरीदी भी गईं। कांग्रेस सरकार के समय जो व्यवस्था थी, केजरीवाल सरकार ने उसे भी चौपट कर दिया। आए दिन बड़ी-बड़ी बातें जरूर की जाती हैं। केजरीवाल सरकार दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।


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