Move to Jagran APP

सियासी गली में ताकझांक करती खिड़की है सहगल की किताब

- पूर्व मुख्य सचिव ने आत्मकथा में खोले राजनीति और नौकरशाही के राज - कहा, स्व. इंदिरा गांध्

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Sep 2017 03:12 AM (IST)Updated: Mon, 04 Sep 2017 03:12 AM (IST)
सियासी गली में ताकझांक करती 
खिड़की है सहगल की किताब
सियासी गली में ताकझांक करती खिड़की है सहगल की किताब

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

loksabha election banner

¨हदुस्तान के सियासी रुख का एक बड़ा और प्रभावी पहलू नौकरशाही रहा है और सियासी गलियों में ताकाझांकी भी इन्हीं खिड़कियों से होती है। हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अखबारों की सुर्खियां बने रहे और जरूरी नहीं कि उन्होंने सभी पर बहुत गौर किया हो, लेकिन सेवा निवृत्त आईएएस और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव रहे उमेश सहगल की किताब उन्हें जरूर कुछ रोचक लगेगी। सहगल ने किताब में राजनेता और राजनीति के जो पन्ने लिखे हैं उनमें नीतिश कुमार की प्रशंसा है और पूर्व पीएम इंदिरा को अधिकारियों का सम्मान करने वाली नेत्री बताया है।

अफसरों के जरिए राजनीति से रंगे जो पन्ने सामने आते हैं उनमें खुद लेखक की जिंदगी का रेखाचित्र ही खींचा होता है। सहगल की किताब आई@एस : टेल टोल्ड बाय एन आइएएस भी इनसे कुछ अलग नहीं है। इसका विमोचन गत 28 जुलाई को नार्थ ब्लॉक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया है। सियासी हलचल से भरे शब्दों को पसंद करने वाले पाठक किताब में आरोप, आलोचना, प्रशंसा और राजनीति की अलग-अलग व्यंजनाओं से रूबरू होंगे, लेकिन नजरिया इसमें केवल लेखक का ही होगा।

सहगल की किताब में राजनय आया है और उनके कई प्रसंग कर्टन रेजर सरीखे हैं। मसलन दिल्ली के मुख्य सचिव के तौर पर अपना वृत्तांत बयां करते हैं। सन 2000 में किसी आधी रात को तब के प्रधान सचिव नवीन चावला उनका तबादला आदेश लेकर पहुंचे। बताया गया कि उनका तबादला केंद्र के सचिव के तौर पर हो गया है। ये व्यक्तिगत जानकारी देने के निर्देश तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उपराज्यपाल विजय कपूर के थे। सहगल इसी तरह अपनी अफसरशाही के सफर को सामने रखते चलते हैं और राजनेताओं के नाम उंगलियों पर गिनाते चलाते हैं। इनमें जगदीश टाइटलर, एचडी देवगौड़ा, एचकेएल कपूर जैसे कई नाम सामने आते हैं।

सहगल की किताब सियासी गलियों में कितनी हलचल मचाती है ये तो वक्त ही बताएगा। हो सकता है इसके बाद राजनय को जवाब देने के लिए किसी राजनेता की आत्मकथा सामने आए और अखबारों की नई सुर्खियां बने।

2009 में भी उठा था ईवीएम में गड़बड़ी का मुददा

उमेश सहगल लिखते हैं, रिटायर हो जाने के बावजूद उन्होंने सन 2009 के चुनाव में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला को लिखित में ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताई। बाद में सभी आशंकाएं सही पाई गई और उनके मद्देनजर ईवीएम में कुछ सेफगार्ड भी लगाए गए।

स्व. इंदिरा गांधी और नीतीश कुमार करते रहे अधिकारियों का सम्मान

उमेश सहगल लिखते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी अधिकारियों का सम्मान करती थीं। उनके जिला मजिस्ट्रेट रहते हुए 1969 में वे त्रिपुरा गई तो एक बैठक के बाद उनके लिए उन्होंने स्वयं दरवाजा खोला। बाद में जब उनके साथ एक फोटो लेने का अनुरोध किया तो वह मुस्कुरा कर बोलीं, आपकी पत्‍‌नी नाराज तो नहीं हो जाएंगी? वाजपेयी सरकार में जब नीतीश कुमार कृषि मंत्री थे तो कंप्यूटर नहीं रखते थे, बाद में सहगल के बताने पर उन्होंने कंप्यूटर के प्रति अपना नजरिया बदल लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.