ग्रीन टैक्स का होता सदुपयोग तो नहीं घुटता दम
दिल्ली की हवा में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। इससे राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही, लेकिन इस पर सियासत खूब हो रही है। विपक्ष इसको लेकर दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है। उसका कहना है कि यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाते तो आज स्थिति इतनी खराब नहीं होती। भाजपा का कहना है कि ग्रीन टैक्स का सदुपयोग करके दिल्लीवासियों को प्रदूषण की समस्या से राहत दी जा सकती थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस फंड का सदुपयोग नहीं किया।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली की हवा में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। इससे राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही, लेकिन इस पर सियासत खूब हो रही है। विपक्ष इसको लेकर दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है। उसका कहना है कि यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाते तो आज स्थिति इतनी खराब नहीं होती। भाजपा का कहना है कि ग्रीन टैक्स का सदुपयोग करके दिल्लीवासियों को प्रदूषण की समस्या से राहत दी जा सकती थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस फंड का सदुपयोग नहीं किया।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि राजधानी में दिन-प्रतिदिन बढ़ता प्रदूषण दिल्ली सरकार की विफलता का सुबूत है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी प्रदूषण पर लगाम लगाने में असफल रहने के कारण दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की ओर से ग्रीन बजट लागू करने के दावे भी खोखले साबित हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में आने वाले व्यवसायिक वाहनों से करोड़ों रुपये ग्रीन टैक्स वसूले गए। सरकार इस फंड का भी सदुपयोग नहीं कर सकी है।
उन्होंने कहा कि नगर निगमों के सफाई कर्मचारियों की प्रदूषण कम करने में विशेष भूमिका है। दिल्ली सरकार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी निगमों को फंड उपलब्ध नहीं करा रही है। केजरीवाल सरकार प्रदूषण की समस्या के लिए केंद्र और पड़ोसी राज्यों की सरकारों को जिम्मेदार ठहराती रही है, लेकिन हकीकत यह है कि इस समस्या से निपटने को उसने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण होने वाली समस्या तो अल्पकालिक है, लेकिन राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।