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वीरेंद्र देव के आश्रम में कैसे पहुंचीं इतनी महिलाएं, यहां मिल सकता है जवाब

2319 ऐसी युवतियां रहीं, जिनका कोई पता नहीं चला है। आंकड़ों में यह भी चौंकाने वाली बात है कि हर साल लापता हो रही युवतियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 26 Dec 2017 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 27 Dec 2017 07:20 AM (IST)
वीरेंद्र देव के आश्रम में कैसे पहुंचीं इतनी महिलाएं, यहां मिल सकता है जवाब
वीरेंद्र देव के आश्रम में कैसे पहुंचीं इतनी महिलाएं, यहां मिल सकता है जवाब

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। वीरेंद्र देव दीक्षित के आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आश्रमों में इतनी संख्या में महिलाएं कहां से पहुंच गईं? यह सवाल इस समय सभी की जुबान पर है। इस सवाल का जवाब संभवत: दिल्ली पुलिस के एक जिले से मिले आंकड़ों में छिपा हो सकता है।

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गायब युवतियों का नहीं मिलता सुराग 

एक आरटीआइ के जवाब में उत्तर पूर्वी जिला पुलिस की तरफ से जो आंकड़े दिए गए हैं वह चौंकाने वाले हैं। इसके मुताबिक जिले में हर साल सैकड़ों की संख्या में युवतियां गायब होती हैं। इनमें कुछ ही पुलिस को मिल पाती हैं। बाकी का अता-पता नहीं चलता। संभव है कि जिन युवतियों का कोई सुराग नहीं मिला है उनमें से कुछ वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे कथित बाबाओं के चंगुल में फंस गई हों। हालांकि इस पर पुलिस अधिकारी फिलहाल औपचारिक रूप से टिप्पणी से बच रहे हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े 

रोहिणी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजहंस बंसल ने इस साल जुलाई में दिल्ली पुलिस के सभी जिलों से आरटीआइ अर्जी लगाकर 2010 से जून तक लापता हुई बालिग लड़कियों का विवरण मांगा था। इसके साथ यह भी जानकारी मांगी गई थी कि लापता लड़कियों में अब तक कितनों के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। कुछ जिलों ने इसका जवाब नहीं दिया। वहीं कुछ ने आधे-अधूरे आंकड़े दिए। लेकिन उत्तर पूर्वी जिले ने 2010 से 15 जून 2017 तक पूरा आंकड़ा दिया।

आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब साढ़े सात में 5800 से अधिक युवतियां लापता हुईं। इसमें से करीब 3500 युवतियों का ही पता चल पाया। 2319 ऐसी युवतियां रहीं, जिनका कोई पता नहीं चला है। इन आंकड़ों में यह भी चौंकाने वाली बात है कि हर साल लापता हो रही युवतियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अभिभावकों के बारे में सही जानकारी नहीं

बता दें कि वीरेंद्र देव दीक्षित के विश्वविद्यालय और आश्रमों में कई ऐसी युवतियां मिल रही हैं जिनके माता-पिता की जानकारी विश्वविद्यालय के पास तक नहीं है। दिल्ली महिला आयोग की टीम को भी छापेमारी में कई ऐसी बालिग और नाबालिग लड़कियां मिली हैं जो अपने अभिभावकों के बारे में सही जानकारी नहीं दे रही हैं। राजहंस बंसल ने कहा कि अगर सभी जिलों से आंकड़ें मिलते तो लापता युवतियों की संख्या कई हजार होती।

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वर्ष-लापता युवतियां-मिलीं-कोई सुराग नहीं
2010 395 278 117
2011 490 329 161
2012 628 448 180
2013 957 653 304
2014 961 565 396
2015 1006 548 458
2016 995 522 473
2017 (15 जून तक) 385 145 240
कुल 5817 3488 2329 


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