नौशाद बोलते हैं भारत माता की जय और मनाते हैं हिंदुओं के त्योहार भी
भारत माता की जय बोलने पर भले ही कुछ लोगों को आपत्ति हो, मगर नौशाद अली उन लोगों में शामिल हैं जो भारत माता की जय-जयकार के प्रबल पक्षधर हैं।
नई दिल्ली (नवीन गौतम)। भारत माता की जय बोलने पर भले ही कुछ लोगों को आपत्ति हो, मगर नौशाद अली उन लोगों में शामिल हैं जो भारत माता की जय-जयकार के प्रबल पक्षधर हैं। साथ ही सभी धर्मों के त्योहार को सब मिलजुलकर मनाएं ऐसी भावना रखते हैं।
इतना ही नहीं, नौशाद खुद अमल करते हुए सभी धर्मों के पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। नौशाद के लिए इंसानियत और देश ही सबसे बड़ा धर्म है। वह नवरात्र भी हिंदुओं की तरह ही पिछले कई सालों से श्रद्धाभाव से मनाते आ रहे हैं। सप्तमी व अष्टमी को दो दिन का व्रत रखते हैं और नवमी को पूरे विधि विधान से कन्या पूजन करते हैं।
बकौल नौशाद इस बार उनकी योजना अन्य साथियों को साथ लेकर मोतीनगर विधानसभा क्षेत्र के जवाहर कैंप में कन्या पूजन की है। इसके लिए उन्होंने भाईचारा एकता त्योहार समिति का गठन भी किया है, जिसके बैनर तले 101 कन्याओं का पूजन करने का लक्ष्य रखा है।
इसके पीछे उनका तर्क हैं कि ऐसा करने से आज के माहौल में इससे सभी के बीच भाईचारे का संदेश जाएगा। नौशाद कह रहे हैं कि कोई भी धर्म या त्योहार कट्टरता, नफरत नहीं सिखाता, अपितु प्रेम भाव से रहने का पाठ पढ़ाता है।
वह कहते हैं कि मैं मुस्लिम हूं और इस्लाम में पूरी यकीन रखता हूं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि किसी अन्य धर्म के लोगों से नफरत करूं यह तो इस्लाम में कहीं नहीं है। पिछले कई वर्षो से सब धर्मो के त्योहारों को पूरी श्रद्धा व आस्था से मनाता आ रहा हूं और कभी भी मुझे ऐसा करने से किसी ने नहीं रोका।
12वीं पास पेशे से अपनी निजी स्कूल वैन चलाने वाले नौशाद के मुताबिक उन्हें मुंह बोले बड़े भाई एडवोकेट प्रवीण कुमार कविया का मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहा है, जिनके कारण हमें कुछ नया करने की सोच मिलती है
हम बता देना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान में सभी धर्मो का सम्मान करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदूू भाईयों के त्योहारों मे शरीक होते है और हिंदू भाई मुस्लिम-सिख भाईयों के त्योहारों में। हम देश में सभी को संदेश देना चाहते है की हम सब पहले भारतीय है उसके बाद किसी जाति या धर्म के हैं।
हमारा अगला लक्ष्य सभी धर्मों के त्योहारों को सभी के साथ मिलकर एक ही मंच पर मनाने का है, इस साल से यह परंपरा शुरू की जा रही है और हमेशा चलेगी।