गोरी बांके नयन से चलाए जदुआ..
अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली भागदौड़ भरी दिनचर्या के बाद मंगलवार की सुरमयी शाम राजधानी के स
अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली
भागदौड़ भरी दिनचर्या के बाद मंगलवार की सुरमयी शाम राजधानी के संगीत प्रेमियों के लिए सुकून लेकर आई। लोधी एस्टेट स्थित अलायंस फ्रांसेस में हरिहरपुर घराने के कलाकारों की संगीत साधना ने सभी को मोहित कर लिया। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव के कलाकारों ने बंदिश, ठुमरी और दादरा से ऐसा समां बांधा कि संगीत के शौकीन मंत्रमुग्ध हो उठे। ताल यात्रा में चार तबला कलाकारों ने हारमोनियम और सारंगी की लाजवाब संगत की। कलाकारों ने तबला के तीन ताल उठान, कायरा और बांध के माध्यम से दिखा दिया कि हरिहरपुर गायकी ही नहीं, तबला वादन में भी मिसाल है।
मशहूर गायक पंडित राम प्रकाश मिश्रा ने हरिहरपुर घराने के दादरा ताल पर 'गोरी बांके नयन से चलाए जदुआ, गोरी तिरछी नजर से चलाए जदुआ..' सुनाया तो लोग तबले व तालियों की लय पर झूमते नजर आए। उनके पुत्र डॉ. प्रभाकर कश्यप और नाती किशन प्रकाश ने संगत की। इसके बाद राम प्रकाश ने दादरा में ही 'रखियो बालम वाही नजरिया' भी सुनाया। फिर ठुमरी 'सावरी सुरति तोरी मोहिनी मूरतिया, देखे बिना नाहीं चैन.. दिन नाहीं चैन, रैन नाहीं ¨नदिया, दिन नाहीं चैन..' सुनाई तो हॉल तालियों से गूंज उठा। हरिहरपुर घराने के ही 10 बच्चों ने बंदिश 'कौन जतन तुम्हें पाऊं हे हरि, न मैं ज्ञानी, न मैं ध्यानी, न मैं भस्म रमाऊं हे हरि' को बड़ा खयाल व छोटा खयाल में प्रस्तुत किया। वहीं, खयाल गायकी में ही बंदिश 'अपनी गरज पकड़ लीनी बईया मोरी' पेश की।
इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में बनारस गायकी के हरिहरपुर घराने के 25 कलाकारों को बुलाया गया है। कलाकार बुधवार को भी शाम छह से आठ बजे तक अपनी कला का जादू बिखेरेंगे।
गौरतलब है कि यूपी के आजमगढ़ जिले का हरिहरपुर गांव अपनी 200 साल पुरानी गायकी की विरासत के लिए जाना जाता है। ठुमरी, टप्पा, होरी, चैती, सादरा, दादरा, तराना, कजरी, झूला आदि के लिए हरिहरपुर घराने की प्रस्तुति ने दिल्ली वालों की शाम को यादगार बना दिया। इस दौरान हरिहरपुर के ही कलाकारों ने सितार, सरोद, हारमोनियम, पखावज, सारंगी, तबला आदि पर संगत किया। कार्यक्रम में आयोजक अनीता ¨सह, कलाकार भोलाना मिश्रा आदि मौजूद रहे।