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Weather Alert ! दिल्ली समेत उत्तर भारत के करोड़ों लोगों के लिए बुरी खबर, 'ला नीना' बढ़ाएगा मुसीबत

Weather Alert ! आने वाले दिनों में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए नवंबर और दिसंबर का महीना परेशानी भरा हो सकता है। इस दौरान ला नीना जहां सर्द कहर बरपाएगा वहीं पराली हवा में जहर घोलती रहेगी। कुल मिलाकर प्रदूषण और ठंड दोनों से ही परेशानी बढ़ेगी।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 06:10 AM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 08:36 AM (IST)
Weather Alert ! दिल्ली समेत उत्तर भारत के करोड़ों लोगों के लिए बुरी खबर, 'ला नीना' बढ़ाएगा मुसीबत
Weather Alert ! दिल्ली समेत उत्तर भारत के करोड़ों लोगों के लिए बुरी खबर, ला नीना बनेगा वजह

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए नवंबर और दिसंबर का महीना परेशानी भरा हो सकता है। इस दौरान ला नीना जहां सर्द कहर बरपाएगा, वहीं पराली हवा में जहर घोलती रहेगी। कुलमिलाकर इसका मतलब यह है कि अगले 2 महीनों के दौरान ठंड भी अधिक पड़ेगी और प्रदूषित हवा में सांस लेना भी कष्टप्रद होगा। वजह, अक्टूबर में भले ही विस्तारित मानसून ने स्थितियों को नियंत्रण में रखा हो, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है। पर्यावरण विज्ञानियों के अनुसार तापमान में गिरावट और अन्य मौसम संबंधी वजहों जैसे हवा की गति धीमी और उसकी दिशा के चलते प्रदूषण का स्तर भारत-गंगा के मैदानी इलाकों के अधिकांश शहरों- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल में सप्ताह भर से ''बहुत खराब'' या ''खतरनाक'' श्रेणी में चल रहा है। पटाखों और पराली जलाने के मौसमी कारकों ने हमेशा की तरह समस्या को और बढ़ा दिया है।

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ठंड के साथ बढ़ेगा प्रदूषण

दरअसल, सदी का मौसम प्रदूषण में वृद्धि के लिए अनुकूल समय है। सर्दियों के दिनों में, ठंडी हवा अक्सर उत्तर भारत में बस जाती है। शीतकाल के तापमान उलटने से धुंध के निर्माण में योगदान होता हैं। तापमान का यह उलटना तब होता है जब ठंडी हवा गर्म हवा की एक परत के नीचे फंस जाती है। चूंकि ठंडी हवा गर्म हवा से ऊपर नहीं उठ सकती, इसलिए ठंडी हवा में प्रदूषण तब तक बना रहता है जब तक तापमान उलटा रहता है। सर्दियों के महीनों में देखी जाने वाली धुंध ज्यादातर तापमान में उलट-फेर (व्युत्क्रमण) का भी परिणाम है। आमतौर पर वायुमंडल में उच्च हवा पृथ्वी की सतह के पास हवा की तुलना में ठंडी होती है। सतह के पास गर्म हवा ऊपर उठती है, जिससे सतह से प्रदूषक वातावरण में फैल जाते हैं।

ला नीना और वायु प्रदूषण के बीच का संबंध

लगातार दूसरी बार ला नीना के साथ, उत्तर पश्चिम भारत इस मौसम में भीषण सर्दी के लिए तैयार है। मौसम विज्ञानी इस साल मैदानी क्षेत्रों में रिकार्ड लो (कम) तापमान की भविष्यवाणी कर रहे हैं, नवंबर और दिसंबर में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की उम्मीद है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी- फरवरी में कुछ उत्तरी क्षेत्रों में तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक गिर जाने की उम्मीद है।

उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में प्रदूषण का तीव्र दौर\Bमौसम में अधिक ठंडे दिनों की संभावना सभी मैदानी क्षेत्रों विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर के लिए निश्चित रूप से अधिक संख्या में ''खराब'' से ''गंभीर'' वायु गुणवत्ता वाले दिनों की ओर ले जाएगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दी का मौसम पहले से ही प्रदूषण के लिए अनुकूल है और तापमान में गिरावट से स्थिति और खराब होगी।

जीपी शर्मा (अध्यक्ष, मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर) का कहना है कि एक के बाद एक दूसरे ला नीना की एक बड़ी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 तक अत्यधिक ठंड पड़ सकती है। इस अवधि के दौरान समुद्री घटनाओं के चरम पर होने की उम्मीद है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सर्दियों की तीव्रता दुनिया के अन्य हिस्सों में घटते कई अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है।

उधर, डा वी. विनोज (सहायक प्रोफेसर, स्कूल आफ अर्थ ओशन एंड क्लाइमेट साइंसेज, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, भुवनेश्वर) का कहना है कि तापमान में गिरावट के साथ अधिक स्थिर स्थितियों की संभावना है। यदि किसी कारण से हवाएं धीमी हो जाती हैं और इस अवधि के दौरान पराली या बायोमास जलने में वृद्धि होती है तो नई दिल्ली सहित उत्तरी मैदानी इलाकों में समग्र वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब हो सकती है।

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वाय प्रदूषण के बढ़ने पर डा डी साहा, सदस्य (विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय) का कहना है कि हवा की रफ्तार में सुधार के बावजूद प्रदूषकों का संचय जारी है। एयर इंडेक्स बहुत खराब के उच्च स्तर पर चल रहा है। मैदानी क्षेत्रों में समय रहते कदम उठाने की जरूरत है। देरी से मानव जोखिम, उत्पादकता हानि और पर्यटन उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में तैयार की गई सूक्ष्म कार्य योजनाओं का परीक्षण किया जाना चाहिए और कार्यों की प्रभावशीलता को देखने के लिए लागू किया जाना चाहिए। सभी मैदानी शहरों को कार्य योजनाओं को लागू करने के लिए अलर्ट सिग्नल भेजना चाहिए।

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