अब बेअंदाज नहीं रहेगी दिल्ली पुलिस, लगेगा प्राधिकरण का पहरा
दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच लगातार जारी तनातनी अब और बढ़ सकती है। दरअसल, दिल्ली मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राजधानी में राज्य स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण तथा जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण के गठन का फैसला किया है।
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच लगातार जारी तनातनी अब और बढ़ सकती है। दरअसल, दिल्ली मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राजधानी में राज्य स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण तथा जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण के गठन का फैसला किया है।
सरकार ने यह दलील दी है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। लेकिन, समझा जा रहा है कि सरकार का यह ताजा फैसला अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली पुलिस पर सरकार का दबाव बढ़ा सकता है। पुलिस शिकायत प्राधिकरण में जन शिकायतों से संबंधित मामलों की सुनवाई नहीं होगी।
राज्य स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण में दिल्ली सरकार द्वारा चेयरमैन के अलावा पांच सदस्य नियुक्त किए जाएंगे। चेयरमैन उच्च व सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ही बनाए जाएंगे, जबकि प्राधिकरण के पांच सदस्यों में सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी, पुलिस अधिकारी व समाज सेवी शामिल होंगे।
इनमें कम से कम एक महिला सदस्य जरूर होगी। सभी सदस्यों का चयन उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में गठित चयन समिति करेगी। राज्य स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण में डीसीपी व इससे उच्च रैंक के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायतों की सुनवाई होगी।
इसी प्रकार जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण में भी चेयरमैन के अलावा पांच सदस्य होंगे। चेयरमैन जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बनाए जाएंगे और अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी, पुलिस अधिकारी व समाज के अन्य वर्ग के लोग शामिल होंगे।
जिला स्तरीय प्राधिकरण में एसीपी स्तर के पुलिस अधिकारी तथा उससे नीचे के रैंक के पुलिस वालों के खिलाफ की गई शिकायतों की सुनवाई होगी। प्राधिकरण के सदस्यों में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रिमंडल के सदस्य भी शामिल रहेंगे। मालूम हो कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जबसे सरकार बनी है तब से आए दिन किसी ना किसी मुद्दे पर सरकार और पुलिस के बीच तनातनी होती रही है। लोगों में भी पुलिस के रवैये को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला है।