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अटल की अंतिम विदाई से भर आई लोगों की आंखें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम विदाई के दिन लोगों की आंखों में आंसू सैलाब बनकर उमड़ आए। लोग गमगीन दिखे। हर कोई उन यादों को संजोने में लगा हुआ था जो अटल से जुड़ी हुई थी। लोगों के चेहरे की रंगत साफ बता रही थी कि पूर्व प्रधानमंत्री का इस दुनिया से जाना देश के लिए कितनी बड़ी श्रति है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 10:30 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 10:30 PM (IST)
अटल की अंतिम विदाई से भर आई लोगों की आंखें
अटल की अंतिम विदाई से भर आई लोगों की आंखें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम विदाई के दिन लोगों की आंखें भर आई। हर कोई उन यादों को संजोने में लगा हुआ था, जो उनसे जुड़ी हुई थीं। लोगों के चेहरे की रंगत साफ बता रही थी कि पूर्व प्रधानमंत्री का दुनिया से जाना देश के लिए कितनी बड़ी क्षति है।

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यमुनापार में शुक्रवार को जगह-जगह श्रद्धांजलि और शोक सभाएं आयोजित की गई। लोगों ने अपनी नम आंखों से पूव्र प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी और अमर रहे के नारे लगाए। दुर्गापुरी में बड़ी संख्या में सड़क किनारे पौधे लगाकर श्रद्धांजलि दी गई। टीम के सदस्यों ने कहा कि अटल जी ने पर्यावरण के लिए भी बहुत कार्य किए हैं, वहीं भजनपुरा में गंगा दीप समाज सेवा संस्था ने कार्यक्रम आयोजित कर अटल को श्रद्धांजलि दी।

बलदेव पार्क में दी गई श्रद्धांजलि

19 नवंबर 1996 को अटल ने पूर्वी दिल्ली की कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र में बलदेव पार्क का उद्घाटन किया था। उनकी अंतिम यात्रा के दिन बलदेव पार्क के लोगों ने पार्क में श्रद्धांजलि सभा की। आरडब्ल्यूए के प्रधान अशोक लाली ने कहा कि उनकी हर बात याद करने वाली है। उन्होंने सभी धर्मो का सम्मान किया है, साथ ही उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित किया है, जिसका कोई मोल नहीं है। वे केवल अच्छे नेता ही नहीं, बल्कि अच्छे कवि भी थे। वाजपेयी से सभी को सीख लेकर देशहित के कार्य करने चाहिए।

मिथिला के लिए किया बहुत कार्य

मिथिला लोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ.बीरबल झा ने कहा कि अटल का निधन मिथिलावासियों के लिए अपूरणीय क्षति है। वाजपेयी ने ही अपने प्रधानमंत्रित्व काल में मैथिली को अष्टम सूची में लागू कर करोड़ों मिथिलावासियों के दिलों को जीत लिया था। 1934 के भूकंप में कोसी में बना पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। इसके बाद मिथिलांचल का दो हिस्सों में विभाजन हो गया था। 2003 में वाजपेयी ने पुल का शिलान्यास किया और 2012 में पुल बनकर तैयार हुआ। यानी 78 वर्ष बाद इस दूरी को पाटने का काम अटल ने किया था।

लोगों की राय

अटल का व्यक्तित्व उनको एक प्रभावशाली व्यक्ति बनाता था। अटल ने अपने कार्यकाल में जो किया, वो कार्य किसी दूसरे प्रधानमंत्री के कार्यकाल में नहीं हो सके। एक छोटा व्यक्ति भी अगर उनके पास अपनी समस्या लेकर जाता था तो वह उसका समाधान जरूर करते थे।

राजेश साहनी, कृष्णा नगर।

अटल ने पाकिस्तान और ¨हदुस्तान के बीच की खाई को पाटने का काम किया था, उनके रहते दोनों देशों के रिश्ते बहुत अच्छे थे। नेताओं को अटल से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

डॉ. फहीम बेग, सामाजिक कार्यकर्ता जाफराबाद।


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