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केजरीवाल के मंत्रिमंडल में बदलाव, परिवहन मंत्री बने सतेंद्र जैन

गोपाल राय ने कहा कि जिस प्रीमियम बस सेवा में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई है, उसमें अभी कुछ हुआ ही नहीं तो भ्रष्टाचार कहां से आ गया।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2016 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2016 07:40 AM (IST)
केजरीवाल के मंत्रिमंडल में बदलाव, परिवहन मंत्री बने सतेंद्र जैन

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रीमियम बस सेवा की जांच के बीच अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल में मामूली फेरबदल कर दिया है। अब परिवहन मंत्रालय का जिम्मा सतेंद्र जैन संभालेंगे। उनके पास पहले से ही स्वास्थ्य मंत्रा जैसा भारी भरकम महकमा है।

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इससे पहले दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने परिवहन मंत्रालय छोड़ने की पेशकश की थी। गत सप्ताह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। सोमवार को विधानसभा में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान गोपाल राय ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से परिवहन विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने की मांग की थी।

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उन्होंने कहा कि गले के पास वर्षो से फंसी गोली को डॉक्टरों ने छह मई को ऑपरेशन कर निकाल दिया था। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि मेरी स्पाइनल इंजरी का तीन महीने इलाज चलेगा। मुझे अपने काम का बोझ कम करने की जरूरत है, इसलिए मुख्यमंत्री से जिम्मेदारी कम करने के लिए कहा है।

गोपाल राय ने यह पेशकश ऐसे समय में की है जब सरकार की मोबाइल एप्लीकेशन आधारित प्रीमियर बस सेवा की एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) जांच चल रही है और एसीबी के प्रमुख कह चुके हैं कि परिवहन मंत्री को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

गोपाल राय ने कहा कि जिस प्रीमियम बस सेवा में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई है, उसमें अभी कुछ हुआ ही नहीं तो भ्रष्टाचार कहां से आ गया। मंगलवार दोपहर 12 बजे वह परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ एसीबी दफ्तर जाएंगे और उनसे यही पूछेंगे कि इसमें भ्रष्टाचार क्या है, जिसकी जांच के लिए उन्हें बुलाया गया है।

गोपाल राय ने चुनौती दी कि प्रीमियम बस सेवा मामले में एक पैसे का हेर-फेर अगर साबित हो जाए तो वह पूरी जिंदगी तिहाड़ में बिताने को तैयार हैं। सरकार ने कई बैठकों के बाद प्रीमियम बस सेवा को दिल्ली में शुरू करने का फैसला लिया।

21 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक में इसे शुरू करने का फैसला लिया गया। 20 मई को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया तब 23 मई को उपराज्यपाल ने फाइल मंगवाई और 27 मई को दिल्ली सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को गलत बताते हुए उसे रोक दिया।

इसके बाद नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता इसमें भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर एसीबी पहुंचे। इसमें एक पैसे का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। राजनीतिक द्वेष की भावना से शिकायत की गई है।


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