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मैं नेपोलियन नहीं जो घोड़े पर बैठ कर दुनिया जीतने चलाः केजरीवाल

नीतीश से अच्छी दोस्ती है। ममता दीदी भी अच्छी मित्र हैं। अब उनके शपथ ग्रहण में जाओ और कोई मिल जाए तो क्या कर सकते हैं? नीतीश जी ने बिहार को बदल दिया है। उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 09:04 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 06:52 PM (IST)
मैं नेपोलियन नहीं जो घोड़े पर बैठ कर दुनिया जीतने चलाः केजरीवाल

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल/सर्वेश कुमार]दिल्ली में ऐतिहासिक बहुमत से सत्ता में आई केजरीवाल सरकार रविवार 14 फरवरी को एक साल पूरे कर रही है। अपने अब तक के काम-काज और भविष्य की तैयारी पर उन्होंने दैनिक जागरण के साथ खुलकर चर्चा की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...।

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हम पाकिस्तान हैं क्या? पैरामिलिट्री भेजने की क्या जरूरत हैः केजरीवाल

पहले की तरह खुद राशन की दुकान या अस्पताल जाकर जायजा लेने की जरूरत नहीं लगती?

-मैं सिर्फ अफसरों के भरोसे यह काम नहीं छोड़ता। हर योजना की हकीकत जांचने के लिए अपने वालंटियर्स को भेजता हूं। जरूरी लगेगा तो खुद भी जाऊंगा। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तो हमेशा ऐसे औचक दौरों पर जाते रहते हैं।

आप कहते हैं कि सरकार चलाने का काम मंत्रियों को दिया हुआ है और आप खुद...

-सरकार के काम में जो अड़चनें डाली जाती हैं तो मैं बीच में दीवार बन कर खड़ा होता हूं, जो तीर चलाए जाते हैं उनको रोक लेता हूं। शॉक एबजॉर्बर का काम करता हूं। मैंने कहा हुआ है कि केंद्र से जुड़े फैसले मैं लूंगा।

लेकिन शॉक एबजॉर्बर का जो काम आपने अपने लिए चुना, उसमें कामयाब तो नहीं हो पा रहे। आप खुद कहते हैं दिल्ली सरकार काम नहीं कर पा रही?

-जितने काम गिनाए हैं मैंने। आप ये बताइए कि किस सरकार ने साल भर के अंदर इतने काम किए हैं? दिल्ली में किसानों की करोड़ों की जमीन का अधिग्रहण 54 लाख रुपये प्रति एकड़ से हो रहा था। हमने सर्किल रेट रिवाइज कर दिए.. लेकिन जैसे ही हमारी सरकार ऐसा कोई फैसला करती है एलजी (उप राज्यपाल) साहब आदेश को रद घोषित कर देते हैं। तो इससे तो लड़ना ही पड़ेगा ना। हम कोई अपनी जमीन जायदाद का झगड़ा थोड़ी लड़ रहे हैं। हमारे लोगों के साथ गड़बड़ करेंगे तो लड़ना तो पड़ेगा। अधिकारियों का तबादला करता हूं तो रोक देते हैं, दो अफसर गड़बड़ी कर रहे थे, सस्पेंड किया.. तो कहते हैं आपके पास सस्पेंड करने की शक्ति नहीं है। ये मैंने भारत के इतिहास में पहली बार सुना है कि कोई सीएम गड़बड़ी कर रहे अधिकारियों को सस्पेंड नहीं कर सकता। अगर ऐसा ही है तो दिल्ली में चुनाव क्यों कराया। राष्ट्रपति शासन लगा रहने देते।

लेकिन यह तो कानूनी लड़ाई है?

-कोई कानून का सहारा नहीं ले रहे। आप ये बताइए कि क्या देश का सबसे भ्रष्ट आदमी मैं ही मिला था.. जो मुझ पर सीबीआइ की रेड डाली। इतने बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी बैठे हैं, उनको छोड़कर केजरीवाल के दफ्तर पर रेड मारी.. जरूर कुछ गड़बड़ है..।

आप तो कहते हैं मोदी सरकार काम नहीं करने देती। अगर वे काम करने देते फिर कितने नंबर देते?

-मैं दी गई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही यह कह रहा हूं। बाकी चीजें तो हो जाएंगी, लेकिन भ्रष्टाचार से मेरे तन-मन में आग लग जाती है। एक बार मेरे किसी मंत्री को घूस लेते हुए रिकॉर्ड किया गया। मैंने बिना किसी को बताए उसे मंत्रिमंडल से निकाल दिया, जबकि इसकी सूचना मीडिया को या विपक्षी पार्टियों को नहीं थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा समर्पण और जज्बा और किस सरकार ने दिखाया ?

केंद्र सरकार के भी 20 महीने हो गए उनको कितने नंबर देंगे ?

-हमसे तो हमारी सरकार के बारे में पूछिए। उनके काम के बारे में उनसे पूछिएगा। मैं तो सिर्फ यह कहूंगा कि जिस तरह भारत मां के दो बेटे हैं, एक केंद्र सरकार और एक राज्य। छोटा बेटा पढ़ रहा है तो बड़ा आता है, कभी पेंसिल छीन कर ले जाता है, कभी कॉपी छीन ले जाता है। तो छोटा कह रहा है कि भैया, पढ़ने दो और आप भी पढ़ो। वर्ना 2019 की परीक्षा में फेल हो जाओगे।

पंजाब में बहुमत मिला तो आप सीएम बनने को तैयार हैं?

-पंजाब कांग्रेस के प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह को सपने में भी मेरा भूत दिखाई देता है। वह कहते हैं कि हरियाणा का आदमी यहां आ रहा है। मैं कहता हूं कि मैं पाकिस्तान से नहीं आया। भारत का ही हूं। भारत में ऐसी कोई रोक नहीं। किसी राज्य का आदमी कहीं जा सकता है।

यानी आप तैयार हैं?

-मैं दिल्ली में ही खुश हूं। लेकिन पंजाब में हम जीत रहे हैं 90 से 100 सीटों पर। दिल्ली जैसा ही नतीजा वहां भी दिखेगा। पंजाब का युवा जो अपनी ऊर्जा और शौर्य के लिए प्रसिद्ध था, उसे नशे में ढकेल दिया गया। भाजपा और अकाली यह सब करवा रहे हैं और कांग्रेस भी मिली हुई है। जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी तो भाजपा-अकाली सरकार के मंत्री मजीठिया के खिलाफ सीबीआइ जांच होने वाली थी, मगर कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर ने ही उसे रुकवा दिया। दोनों मिले हुए हैं। जब कैप्टन थे, उन्होंने अकालियों के खिलाफ केस रजिस्टर किए, गिरफ्तार नहीं किया। दिखाने के लिए सिर्फ करते रहे। फिर अकाली आए तो अपने खत्म करवा लिए और कैप्टन के खिलाफ केस कर दिए मगर गिरफ्तार नहीं किया।

आपने भी दिल्ली में कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ आपके पास कितने सुबूत हैं, लेकिन गिरफ्तार तो वे भी नहीं हुईं?

-हमारी एंटी करप्शन ब्रांच छीन ली ना। दो तो सही आप हमें एसीबी।

एसीबी मिल गई तो उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे?

-बिल्कुल। जो गड़बड़ होगी.. जैसे ही हमारी दोबारा सरकार बनी थी, शीला दीक्षित और मुकेश अंबानी वाले केस में फिर से जांच शुरू कर दी थी। मगर इस दौरान एक साल तक इनकी सरकार थी, तो इन्होंने क्या किया? इन्होंने तो एक बार भी समन तक नहीं किया। केस दबाए। हमारे पास तो जब तीन महीने एसीबी रही तो रिलायंस के सीईओ को समन किया था। सबको समन कर रहे थे। मगर इन्होंने एसीबी छीन ली।

दिल्ली व पंजाब के अलावा किस राज्य में अपनी पार्टी की ज्यादा संभावना देखते हैं?

-मैं कोई नेपोलियन थोड़ी हूं कि घोड़े पर बैठ कर दुनिया जीतने चलें.. हम तो बस जितना काम मिला है, वही ईमानदारी से कर पाएं, वही बहुत है।

राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं तो फिर अन्ना के साथ अनशन कर रहा व्यक्ति लालू से गलबहियां क्यों कर रहा है?

-नीतीश से अच्छी दोस्ती है। ममता दीदी भी अच्छी मित्र हैं। अब उनके शपथ ग्रहण में जाओ और कोई मिल जाए तो क्या कर सकते हैं? नीतीश जी ने बिहार को बदल दिया है। उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।

14 फरवरी को एक साल पूरा करने पर क्या करेंगे?

-जनता को रिपोर्ट देंगे। मैं और सारे मंत्री दो घंटे बैठेंगे और जनता से सीधे फोन पर सवालों के जवाब देंगे।

वेलेंटाइन डे के मौके पर ऐसी रूखी तैयारी?

-(मुस्कुराते हुए) पिछले साल 14 तारीख को ही वेलेंटाइन डे पर दिल्ली को नई तरह की राजनीति से प्यार हो गया था.। अब यह और बढ़ रहा है।

एमसीडी हड़ताल पर बहुत देर लगा दी आपने?

-हमने ही शुरुआत से सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई है। सारी समस्या की जड़ भ्रष्टाचार है। मैंने हिसाब लगाया कि पूर्वी एमसीडी का विज्ञापन का राजस्व सालाना सिर्फ 12 करोड़ है। यानी एक करोड़ रुपये महीना। बड़े-बड़े होर्डिग्स जो लगते हैं उनकी एक महीने की औसत लागत एक लाख होती है। पूरी पूर्वी दिल्ली में तीन-चार हजार होर्डिग्स लगे हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है। वे गैरकानूनी हैं। 12 करोड़ नहीं यह राजस्व 500 करोड़ होना चाहिए। विज्ञापन, हाउस टैक्स, पार्किग और पता नहीं कितने तरह के संसाधन हैं, लेकिन सब मिलकर लूट रहे हैं। इन सबकी कमान किसी एक जगह तो होनी चाहिए।

आप तो विकेंद्रीकरण की बात करते थे?

-लेकिन कोई चेन ऑफ कमांड तो होगी ना। इस तरह खुली लूट नहीं होने दी जा सकती।

लोकपाल आंदोलन किया। मगर दिल्ली को लोकपाल अब तक नहीं दिला सके। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ कोई शिकायत कहां करे?

-हमने तो पास कर दिया। अब यह केंद्र के ऊपर है कि वो क्या करती है। हम तो खुद कह रहे हैं कि हमारे खिलाफ जांच का कानून बने।

आपने आरटीआइ कानून के लिए आंदोलन किया था। आज केंद्रीय सूचना आयोग आपके कार्यालय के रवैये पर नाराजगी जताता है।

-अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसे ठीक करेंगे. अगर कोई दिक्कत हो तो बताइए सारी जानकारी दी जाएगी।

पहले आप प्रो एक्टिव थे आरटीआइ को लेकर, अब नहीं लगते?

-आप बताइए क्या करना है बिल्कुल किया जाएगा।

राजनीति में आने से पहले आपने बिहार सरकार के सहयोग से वहां फोन पर आरटीआइ लगाने की सुविधा शुरू करवाई। दिल्ली में क्यों नहीं की ?

-हम सभी जानकारी हमारी वेबसाइट पर डाल रहे हैं। केंद्र सरकार में तो यह हाल है कि किसी ने प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता पर सूचना मांगी तो वह भी नहीं मिली। हमारे तो सारे ब्योरे आप बिना मांगे खुद ले सकते हैं। मैने आदेश दिए हुए हैं, कोई सूचना रोकी नहीं जाए। फोन पर आरटीआइ आवेदन लेने की सुविधा भी देंगे। अगले एक यो दो साल में यह भी हो जाएगा।

सोशल मीडिया पर, चैनलों पर आप पर इतने मजाक बनाए जाते हैं, क्या प्रतिक्रिया होती है?

-मुझे बुरा नहीं लगता। (हंसते हुए) पर जिस इंजीनियर ने जूते के लिए पैसे भेजे थे मैं उनको कहना चाहता हूं कि 364 रुपये में तो जूते भी नहीं आते। वैसे वर्ष 2000 के बाद से मैंने जूते नहीं पहने।

पहले की तरह खुद राशन की दुकान या अस्पताल जाकर जायजा लेने की जरूरत नहीं लगती?

-मैं सिर्फ अफसरों के भरोसे यह काम नहीं छोड़ता। हर योजना की हकीकत जांचने के लिए अपने वालंटियर्स को भेजता हूं। जरूरी लगेगा तो खुद भी जाऊंगा। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तो हमेशा ऐसे औचक दौरों पर जाते रहते हैं।

ऑड-इवेन क्या फिर होगा?

-यह इसलिए कामयाब हुआ क्योंकि जनता ने सहयोग किया। हम फिर जनता से बात कर रहे हैं। अब उनकी राय के साथ ही शुरू करेंगे। पिछली बार तीन दिन के लिए स्कूल बंद करने पड़े थे। अबकी बार इसकी जरूरत नहीं होगी।

33 फीसद प्रदूषण तो दोपहिया वाहनों से होता है फिर इसे क्यों बाहर रखा गया?

-अभी हाल फिलहाल में इसे दोपहिया वाहन पर लागू नहीं कर सकेंगे। हमने पाया है कि सम-विषम फामरूले में जब इतनी बड़ी संख्या में कार सड़कों से हटी तो वे कार वाले लोग अधिकांशत: कार पूलिंग कर रहे थे। लेकिन बाइक वाले मेट्रो और बस का ही सहारा ले सकते हैं। एक साथ इतने यात्रियों की हमारे पास क्षमता नहीं है। हम तीन हजार नई बसें भी ले रहे हैं।


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