Move to Jagran APP

एसआइटी ने इटली से लेकर अमेरिका तक पीड़ितों से संपर्क कर जुटाए थे सुबूत

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : चौंतीस साल पहले हुए सिख विरोधी दंगे के जख्म आज भी हरे हैं। प

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 08:22 PM (IST)
एसआइटी ने इटली से लेकर अमेरिका तक पीड़ितों से संपर्क कर जुटाए थे सुबूत
एसआइटी ने इटली से लेकर अमेरिका तक पीड़ितों से संपर्क कर जुटाए थे सुबूत

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : चौंतीस साल पहले हुए सिख विरोधी दंगे के जख्म आज भी हरे हैं। पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के उद्देश्य से गठित किए गए विशेष जांच दल (एसआइटी) के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सुबूत जुटाना। इसके लिए उसने हरसंभव प्रयास किए। टीम ने इटली से लेकर अमेरिका तक सुबूतों की तलाश की और आखिरकार दोहरे हत्याकांड में दो दोषियों के सलाखों के पीछे पहुंचने से उसकी मेहनत रंग लाई।

loksabha election banner

दंगे में दिल्ली पुलिस ने 650 मामले दर्ज किए थे। इसमें से 267 मामलों के अनसुलझे होने की बात कहकर उनकी फाइल बंद कर दी गई। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने इस सभी मामलों की जांच की थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा फरवरी 2015 में गठित की गई एसआइटी ने भी इसमें से 60 मामलों को जांच के लिए सही पाया और डेढ़ साल में 52 मामलों में कोई सुबूत नहीं मिलने के कारण अनट्रेस रिपोर्ट फाइल की। एसआइटी ने आठ मामलों की जांच की और उनमें आरोप-पत्र दाखिल किए। तीन मामलों में आरोप-पत्र में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपित हैं, इन तीनों आरोप-पत्रों पर अभी जांच चल रही है।

एसआइटी ने मामले की तह तक जाने के लिए पीड़ितों की तलाश शुरू की। एसआइटी के आग्रह पर पंजाब सरकार ने एक टीम गठित की। वहीं दिल्ली के सभी सिख संगठनों को पत्र लिखकर पीड़ितों की जानकारी साझा करने को कहा। एक दर्जन से अधिक ¨हदी व अंग्रेजी अखबारों में विज्ञापन निकालकर इससे जुड़े तथ्य एसआइटी को बताने का अनुरोध किया गया। नतीजतन, दंगे के पीड़ित संगत सिंह ने एसआइटी से संपर्क किया और उन्होंने दो लोगों की हत्या के मामले में दोषी नरेश सारस्वत और यशपाल सिंह की पहचान की। उन्होंने बताया कि सारस्वत महिपालपुर में पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर के पद पर काम करता था और यशपाल ट्रांसपोर्टर था। 31 जनवरी 2017 में दाखिल किए गए अपने आरोप पत्र में एसआइटी ने कहा कि जिस घर में पीड़ित छिपे हुए थे, यशपाल व नरेश सारस्वत ने उसकेदरवाजे पर केरोसिन डालकर आग के हवाले कर दिया था।

दंगे में मारे गए अवतार सिंह के भाई रतन सिंह से एसआइटी ने संपर्क किया। रतन सिंह इटली में रह रहे हैं। टीम के आग्रह पर रतन सिंह अक्टूबर 2017 में भारत आए और बयान दर्ज कराया। रतन सिंह वह अकेले व्यक्ति थे जिन्होंने घटना के बाद अस्पताल में अपने भाई के शव की पहचान की थी। एसआइटी ने मामले से जुड़े उन लोगों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संपर्क किया, जो अब अमेरिका में रह रहे हैं। उन सभी लोगों के भी बयान रिकॉर्ड किए गए।

------------------------------ यह थी घटना

मृतक हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई रिपोर्ट के अनुसार 1 नवंबर 1984 को हरदेव सिंह, कुलदीप सिंह व संगत सिंह महिपाल पुर स्थित अपनी दुकान पर थे। इसी बीच दंगाई वहां पहुंचे। उन्हें देखकर सभी वहां सुरजीत सिंह के किराये के मकान में घुस गए। दुकानों में आग लगाने के बाद दंगाई सुरजीत सिंह के घर पहुंचे और लोगों को बुरी तरह से पीटा। उन्होंने हरदेव व संगत पर हमला किया और सभी को बालकनी से नीचे फेंक कर घर को आग के हवाले कर दिया। घायलों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान हरदेव व अवतार सिंह की मौत हो गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.