अलका लांबा की नाराजगी एक बार फिर आयी सामने, नहीं करेंगी AAP उम्मीदवारों का प्रचार
अलका लांबा ने कहा कि पार्टी नेतृत्व से मेरी सिर्फ यही मांग थी कि जो मान-सम्मान पार्टी के दूसरे विधायकों को मिल रहा है वैसे ही उन्हें भी मिले।
नई दिल्ली, जेएनएन। आम आदमी पार्टी से चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा की नाराजगी एक बार फिर सामने आयी है। बृहस्पतिवार को प्रेस रिलीज जारी कर उन्होंने कहा कि वह पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार नहीं करेंगी। शायद पार्टी भी ऐसा ही चाहती है।
अलका ने कहा कि सौरभ भारद्वाज बार-बार कांग्रेस में जाने की मीडिया में हवा दे रहे हैं। लेकिन मैं यह साफ कर देना चाहती हूं कि अब भी मैं आम आदमी पार्टी में हूं। उन्होंने ने कहा कि मुझे यह बताते हुए बेहद पीड़ा हो रही है कि दिसम्बर से अब तक पिछले 4 महीनों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक मुझसे बात करना जरूरी नही समझा। समय मांगने पर समय देना भी देना जरूरी नही समझा और पार्टी के हर आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रखा।
इस वजह से नाराज हैं अलका लांबा
अलका लांबा ने कहा कि पार्टी नेतृत्व से मेरी सिर्फ यही मांग थी कि जो मान-सम्मान पार्टी के दूसरे विधायकों को मिल रहा है वैसे ही उन्हें भी मिले। जिसे पार्टी नेतृत्व ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया हुआ है। उन्होंने कहा कि मैंने तय किया है कि मेरे और पार्टी के बीच जो कुछ भी चल रहा है, उसका शिकार मैं अपनी जनता को नही होने दूंगी।
अलका ने बताया कि वह जनता से 12 मई को चुनाव में वोट करने की अपील के साथ महंगाई, सीलिंग, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा के मुद्दों पर वोट करने की अपील भी कर रही हैं। लांबा ने कहा कि उनका मानना है कि कुछ प्रश्नों का उत्तर समय आने पर खुद ब खुद मिल जाता है। इसलिए जनता के बीच पूरी तरह से सक्रिय रहते हुए विकास कार्यों को वे आगे बढ़ाती भी रहेंगी।
25 अप्रैल को बड़ा फैसला लेने का किया था ट्वीट
इससे पहले उन्होंने 20 अप्रैल को ट्वीट कर कहा था कि वह 25 अप्रैल को बड़ा फैसला लेंगी। इस ट्वीट के बाद अलका के AAP को छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही लगी थी।
केजरीवाल पर लगाए थे गंभीर आरोप
कुछ महीने पहले कांग्रेस में जाने की अटकलों के बीच चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक अलका लांबा ने बगावती तेवर अपनाते हुए सीधे पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा था। एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि पार्टी की मीटिंग में केजरीवाल विधायकों और कार्यकर्ताओं को टुच्चा कहते हैं।
एक विधायक को तो केजरीवाल ने गधा तक कह दिया, जिसके बाद विधायक ने रोते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। हालांकि बाद में उन्हें मना लिया गया था। अलका लांबा ने कहा था कि केजरीवाल को लगता है कि पार्टी उन्हीं की बदौलत खड़ी है, जबकि केजरीवाल खुद में कन्फ्यूज्ड हैं।
उन्होंने कहा था कि विधानसभा में जब राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव आया, तो मुझे ठेस लगी। मुझे भी समर्थन करने को कहा गया था। यह कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति थी। जब मैंने पार्टी विधायकों के वाट्सएप ग्रुप में प्रस्ताव की कॉपी शेयर की तो मुझसे इस्तीफा मांगा गया था। मैं इस्तीफा देने के लिए राजी हो गई थी।