सिख को मिले अलग धर्म की मान्यता : अकाली
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (ड
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) ने सिख को अलग धर्म के तौर पर मान्यता दिलाने की लड़ाई तेज करने का फैसला किया है। इस कड़ी में राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा के नेतृत्व में अकाली नेताओं का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय कानून मंत्री रविशकर प्रसाद से मिला। अकाली नेताओं ने इसके लिए संसद से लेकर सड़क तक संघर्ष करने का एलान किया है।
डीएसजीपीसी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि देश का संविधान हमें सिख नहीं मानता। इसलिए अकाली दल लंबे समय से संविधान में संशोधन करने के लिए संघर्ष कर रहा है। संविधान सभा में मौजूद अकाली दल के दोनों प्रतिनिधियों भूपिंदर सिंह मान तथा हुकम सिंह ने इस कारण ही संविधान के मसौदे पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद 1990 के दशक में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश ंिसंह बादल तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहड़ा भी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया के नेतृत्व में राष्ट्रीय संविधान विश्लेषण आयोग बनाया गया था। आयोग ने भी सिखों की माग का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में मंत्रियों का रुख सकारात्मक रहा है और जरूरत पड़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की जाएगी।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य त्रिलोचन सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने सिखों को अलग कौम के तौर पर विलक्षण पहचान दी है। जब जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिल सकता है तो सिखों के मामले में क्या दिक्कत है? अगर तीन तलाक जैसे मसले पर संसद फैसला ले सकती है तो हमारी मांग पर भी विचार किया जाना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में सासद प्रेम सिंह चंदूमाजरा व बलविंदर सिंह भूंदड भी शामिल थे।