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प्रदूषण नियंत्रण के उपाय सिर्फ कागजों में, कमेटी नाराज

-केंद्र सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी ने सौंपी 41 पृष्ठों की रिपोर्ट -लैंडफिल साइट, घटते हरित क्ष

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 09:54 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 09:54 PM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय सिर्फ 
कागजों में, कमेटी नाराज
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय सिर्फ कागजों में, कमेटी नाराज

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

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दिल्ली- एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के कागजी उपायों पर केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने नाखुशी जाहिर की है। कमेटी का कहना है कि योजनाएं तो बहुत बनाई गई हैं, लेकिन उनका कारगर क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। कमेटी ने लैंडफिल साइट के बढ़ते आकार, घटते हरित क्षेत्र और अधूरे ढंग से उठाए जा रहे कदमों पर भी नाराजगी जताई है। साथ ही केंद्र सरकार से इस बाबत और अधिक गंभीर होने को भी कहा है।

गत वर्ष सर्दी में लगातार दूसरे साल दिल्ली के गैस चैंबर बनने पर पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के हस्तक्षेप के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण की समस्या पर उच्चस्तरीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने 2017 में 8 दिसंबर और 2018 में 9 जनवरी एवं 3 जुलाई को तीन बैठकें की। बैठकों से पूर्व केंद्र सरकार सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सरकार के 22 जिलों से वायु प्रदूषण के कारक और हर उस कदम की जानकारी एकत्र की जो इसे रोकने की दिशा में लागू किए जा रहे हैं। इस आधार पर कमेटी ने 41 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की है जो बीते हफ्ते केंद्र सरकार को सौंप दी गई। रिपोर्ट की एक प्रति पीएमओ और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी दी गई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्दी और गर्मी में पीएम 2.5 की मात्रा ज्यादा रहती है। प्रदूषण बढ़ने के कारकों में वाहनों के धुएं, पराली और कचरा जलाने एवं सड़क किनारे उड़ने वाली धूल को प्रमुख बताया गया है। वाहनों में सबसे ज्यादा धुआं ट्रकों का 46 फीसद जबकि दोपहिया वाहनों का 33 फीसद होता है।

कमेटी का कहना है कि एनसीआर के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू करना सराहनीय है, लेकिन इसके प्रावधानों पर सख्ती से पालन भी जरूरी है। कमेटी ने गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच जाने पर भी चिंता जताई है। कमेटी लिखती है कि कुतुबमीनार की ऊंचाई से इसमें केवल आठ मीटर की कमी रह गई है। ठोस कचरा प्रबंधन केवल 54 फीसद कचरे का ही हो पा रहा है जबकि 46 फीसद यानी 4800 टन प्रतिदिन कचरा बच जाता है।

कमेटी ने दिल्ली के सभी बॉर्डर पर घटती हरियाली पर भी चिंता जताई है। कमेटी कहती है कि बार्डर की हरित पंट्टी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान इत्यादि पड़ोसी राज्यों से उड़कर आने वाली धूल को रोकने में मददगार होती थी। सड़कों की मशीनों से सफाई करने को लेकर कमेटी का कहना है कि ऐसा केवल चयनित क्षेत्रों में ही हो रहा है। कमेटी ने दिसंबर 2018 तक एनसीआर में 48 नए एयर मॉनिट¨रग स्टेशन लगने पर भी संदेह जताया है।

कमेटी ने केंद्र सरकार को इस बाबत राज्य सरकारों से तालमेल बढ़ाते हुए निगरानी और गंभीरता दोनों बढ़ाने का सुझाव दिया है। साथ ही दीपावली पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की प्रशंसा करते हुए केंद्र सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि केवल उन्हीं पटाखा निर्माताओं को लाइसेंस दिया जाए जो कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे बनाएं।


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