हार्ट अटैक आने पर एक फोन में घर पहुंचेंगे एम्स कर्मी
आइसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) ने एम्स के साथ मिलकर पायलट परियोजना के रूप में मिशन दिल्ली (दिल्ली इमरजेंसी लाइफ हार्ट-अटैक इनिसिएटिव) की शुरुआत की है। इसके तहत बृहस्पतिवार को दो हेल्प लाइन नंबर (14430 और 1
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने एम्स के साथ मिलकर पायलट परियोजना के रूप में मिशन दिल्ली (दिल्ली इमरजेंसी लाइफ हार्ट-अटैक इनीशिएटिव) की शुरुआत की है। इसके तहत बृहस्पतिवार को दो हेल्पलाइन नंबर (14430 और 1800111044) नंबर व फर्स्ट रिस्पांडर बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर एम्स के प्रशिक्षित पैरामेडिक व नर्सिंग कर्मचारी घर पहुंचकर हार्ट अटैक के मरीजों को संस्थान के डॉक्टरों की सलाह से इलाज उपलब्ध कराएंगे। एम्स के तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित कॉलोनियों के लोगों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
एम्स के पूर्व निदेशक व जानेमाने कार्डियक सर्जन डॉ. पी वेणुगोपाल, संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया व आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने इस सुविधा की शुरुआत की। इसका मकसद हार्ट अटैक के मरीजों को जल्द इलाज उपलब्ध कराकर जिदगी बचाना है। बाइक एंबुलेंस तैयार
डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि इसके लिए एम्स के 20 पैरामेडिक व नर्सिंग कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। चार फर्स्ट रिस्पांडर में बाइक एंबुलेंस तैयार की गई हैं, जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर, डिफाइब्रिलेटर, ईसीजी जांचने की मशीन, क्लॉट बस्टर इंजेक्शन सहित कई दवाएं उपलब्ध होंगी। लोगों के कॉल करने पर 10 मिनट में बाइक से पैरामेडिक व नर्सिंग कर्मचारी पीड़ित के घर पहुंचकर मरीज की ईसीजी जांच करेंगे और उसकी रिपोर्ट एम्स के कंट्रोल रूम के सर्वर पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से भेजेंगे। यह कंट्रोल रूम 24 घंटे संचालित होगा। डॉक्टर ईसीजी रिपोर्ट देखकर मरीज को दवा देने की सलाह दे सकेंगे। यदि ईसीजी रिपोर्ट में हार्ट अटैक की पुष्टि होती है तो एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह पर पैरामेडिक घर पर ही मरीज को तुरंत क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दे सकेंगे। साथ ही थोड़ी देर में कैट्स एंबुलेंस भी मौके पर पहुंचेगी ताकि मरीज को अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सके। समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते मरीज
हार्ट अटैक आने पर मरीज काफी देर से इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। इसका एक कारण दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या भी है। जबकि हार्ट अटैक होने पर 90 मिनट मरीज के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान इलाज नहीं मिलने पर हृदय की मांसपेशियां व धमनियों को नुकसान होने लगता है। खासतौर पर कॉल्ट बस्टर दवा बहुत जल्दी देने की जरूरत होती है। यह एंजियोप्लास्टी से किफायती भी होती है। बाइक पतली गलियों में भी जल्दी पहुंचकर मरीज को यह दवा उपलब्ध करा सकेगी। इससे कई मरीजों को एंजियोप्लास्टी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इसलिए भी जरूरी है यह पहल
भारत में औसतन 53 से 55 साल और अमेरिका में 63 से 65 साल की उम्र में हार्ट अटैक की बीमारी होती है। इस तरह यहां 10 साल कम उम्र में लोग हार्ट अटैक से पीड़ित हो जाते हैं। इस बीमारी में धमनियों में ब्लॉकेज के कारण हृदय ठीक से पंप नहीं कर पाता। इसलिए ब्लॉकेज को जल्द दूर करना जरूरी होता है। राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बनेगी यह परियोजना
एम्स ने मार्च 2017 में इस परियोजना पर काम शुरू किया व सितंबर 2018 में ओल्ड ओटी ब्लॉक में कंट्रोल रूम बनाया। इसके बाद सात महीने तक मॉक ट्रायल किया। इस दौरान फर्स्ट रिस्पांडर बाइक की 1804 ड्राई रन व 1040 लोगों की ईसीजी जांच कर इसका परीक्षण किया। इसके बाद अब यह कार्यरत हुआ है। तीन साल इसे पायलट परियोजना के रूप में चलाया जाएगा। डॉ. भार्गव ने कहा कि यदि योजना सफल हुई तो इसे देश भर में राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में लागू किया जाएगा।