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Earthquake In Delhi: भूकंप को लेकर खतरे के मुहाने पर दिल्ली, अदालती आदेश के बाद भी गंभीर नहीं प्रशासन

Earthquake In Delhi दिल्ली जयपुर समेत देश के कई हिस्सों में मंगलवार को दोपहर को भूकंप के झटके महसूस किए गए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया ‘दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए। उम्मीद है कि आप सभी सुरक्षित होंगे।’

By V K ShuklaEdited By: Abhishek TiwariPublished: Wed, 25 Jan 2023 09:13 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2023 09:13 AM (IST)
Earthquake In Delhi: भूकंप को लेकर खतरे के मुहाने पर दिल्ली, अदालती आदेश के बाद भी गंभीर नहीं प्रशासन
Earthquake In Delhi: भूकंप को लेकर खतरे के मुहाने पर दिल्ली

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भूकंप को लेकर खतरे के मुहाने पर दिल्ली बैठी है, लेकिन न ही प्रशासन इसे लेकर सतर्क है और न ही जनता इसे लेकर गंभीर है। जिला प्रशासन आपदा प्रबंधन को लेकर लापरवाह दिख रहा है, वहीं सरकारी विभाग भी पुरानी इमारतों को रेट्रो फिटिंग कराने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। रेट्रो फिटिंग के माध्यम से पुरानी इमारतों को भी भूकंपरोधी बनाया जाना था। करीब 10 साल पहले यह योजना शुरू हुई थी जो ठप हो चुकी है।

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90 प्रतिशत इमारतें अवैध

वहीं, जिला प्रशासन के अधिकारी इस विषय को लेकर इतने लापरवाह हैं कि उन्हें यह तक पता नहीं है कि अभी तक उनके क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर कितना पैसा खर्च हुआ है। जबकि इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए कह चुका है। दिल्ली में 32 लाख इमारतें हैं, जिनमें 90 प्रतिशत अवैध हैं। भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए बनाए गए सिस्मिक जोन चार में दिल्ली आती है। जो अधिक खतरनाक क्षेत्र में शामिल है।

अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर हो सकती है भारी जनहानि

अभी तक माना जाता रहा है कि अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर दिल्ली में भारी जनहानि हो सकती है। कुछ साल पहले दिल्ली जब सिस्मिक जोन-तीन से चार में आई तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए सभी महत्वपूर्ण पुरानी इमारतों में रेट्रो फिटिंग के माध्यम से इन्हें भूकंपरोधी बनाने का फैसला लिया था। जिसमें पांच इमारतों पर यह काम होना था, पहले चरण में जीटीबी अस्पताल और उत्तरी दिल्ली में स्थित लुडलौ कैसल स्कूल को भूकंपरोधी बनाया गया था। उस समय यह कहा गया था कि इन दोनों इमारतों का फीडबैक देखा जाएगा, उसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

लोक निर्माण विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता दिनेश कुमार कहते हैं कि उस समय इन इमारतों का फीडबैक तो ठीक रहा था, लेकिन आगे अन्य इमारतों के बारे में सरकार ने फैसला लेना था, जो नहीं लिया जा सका। इसमें लोक निर्माण विभाग मुख्यालय की 13 मंजिला इमारत और दिल्ली सचिवालय को भी भूकंपरोधी बनाया जाना था।

इमारतों के स्ट्रक्चरल डिजाइन की जांच के नाम पर खानापूर्ति

अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया। उन्होंने हाई कोर्ट में इस बारे में याचिका लगाई तो पता चला कि संबंधित विभाग और एजेंसियां इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। उसी समय से अदालत में विभागों और एजेंसियों को वह चेताने में लगे हुए हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने नगर निगम, डीडीए, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार सभी को पार्टी बनाया।

उसका बड़ा लाभ यह हुआ है कि उसके बाद बनने वाली सभी इमारतों के लिए भूकंप की दृष्टि से इमारतों का स्ट्रक्चरल डिजाइन नगर निगम के पैनल में शामिल स्ट्रक्चरल इंजीनियर से तैयार कराना अनिवार्य कर दिया गया है। भार्गव कहते हैं कि पैनल में 200 के करीब ही विशेषज्ञ शामिल हैं। ये लोग 32 लाख इमारतों की जांच कैसे कर सकते हैं।


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