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एक क्लास में 150 बच्चे हों तो भगवान भी नहीं पढ़ा सकते : मनीष

स्कूल में अब तक एक कक्षा में औसतन 70-75 बच्चे बैठते हैं। एक कक्षा में बच्चों की संख्या सीमित होनी चाहिए। अगर एक ही कक्षा में डेढ़ सौ बच्चे होंगे तो ऐसे में भगवान भी उन्हें नहीं पढ़ा सकते। यह कहना है दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 17 Mar 2016 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 17 Mar 2016 11:26 AM (IST)
एक क्लास में 150 बच्चे हों तो भगवान भी नहीं पढ़ा सकते : मनीष

नई दिल्ली। एक कक्षा में बच्चों की संख्या सीमित होनी चाहिए। अगर एक ही कक्षा में डेढ़ सौ बच्चे होंगे तो ऐसे में भगवान भी उन्हें नहीं पढ़ा सकते। यह कहना है दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का।

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मयूर विहार फेज-दो, पॉकेट-बी स्थित राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय में 17 नए कमरों का उद्घाटन करते हुए सिसोदिया ने कहा कि इस स्कूल में 16 कमरे बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन ईमानदारी से काम हुआ और उसी बजट में 17 कमरे बन गए।

इस स्कूल में अब तक एक कक्षा में औसतन 70-75 बच्चे बैठते हैं। नए कमरों से ये औसत घटकर 30-40 के बीच रह जाएगी। इस स्कूल में बच्चो को नई लैब और एनसीसी रूम की भी सुविधा मिल गई है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कमरों की बहुत कमी है। कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां एक कक्षा में 150 तक बच्चे बैठते हैं। ये बच्चे क्या पढ़ते होंगे और क्या सीखते होंगे? इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी जिले के एक स्कूल में एक कक्षा में 174 बच्चे हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे स्कूल में आते ही नहीं हैं। वे आकर भी क्या करेंगे। कक्षा में भी उन्हें ऐसा लगता होगा कि वे किसी सब्जी मंडी में बैठे हुए हैं।

एक साल पहले के अपने अनुभव के बारे में बताते हुए शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार बनने के बाद जब उन्होंने कुछ स्कूलों का निरीक्षण किया और शिक्षकों से पूछा कि हमारे सरकारी स्कूलों के प्रति बच्चों और अभिभावकों का भरोसा क्यों नहीं बन पा रहा तो शिक्षको का जवाब आया कि हम एक कक्षा में 100-150 बच्चो को क्या पढ़ाएं, कैसे पढ़ाएं?

अपनी योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की इस खराब दशा का पता चलने के बाद हमने शिक्षा का बजट दोगुना किया और पहले साल स्कूल के आधारभूत ढांचे पर ध्यान दिया। अभी दिल्ली के विभिन्न सरकारी स्कूलो में 8,000 नए कमरे बनाए जा रहे हैं।

कुछ स्कूलों में निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बाकी में जुलाई तक पूरा हो जाएगा। ये काम लोक निर्माण विभाग की प्राथमिकता में है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक साल बाद अब हम धीरे-धीरे उस स्थिति की ओर पहुंच रहे हैं, जहां कई स्कूलो में एक कक्षा में बच्चो की संख्या 100-150 से कम होकर 50-60 तक आ जाएगी।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलो में केवल कमरे बना देने से पढ़ाई के स्तर पर सुधार नहीं आएगा। इसके लिए और भी प्रयास किए जा रहे हैं। कक्षाों में बच्चों की संख्या सीमित करने के साथ पीने का साफ पानी, शौचालय, स्कूल में सफाई आदि बुनियादी जरूरते हैं, जिनपर हमारा ध्यान है।


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