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'क्रूरता बरतने वाली को सलाखों के पीछे देखने की उम्मीद में जी रहा हूं'

तेजाब हमले से पीड़ित युवतियों और महिलाओं के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं। इनकी चर्चा भी समय-समय पर होती रहती है। लेकिन तेजाब हमले के पीड़ित एक पुरुष का मामला गुमनामी में चला गया। उनकी मदद के लिए कोई संगठन सामने नहीं आया। यहां तक कि र¨वदर ¨सह बिष्ट नामक इस पीड़ित को आज तक न्याय नहीं मिला। 36 वर्षीय र¨वदर पर करीब आठ साल पहले तेजाब से हमला किया गया था। आरोप है कि उनकी मंगेतर ने ही हमला किया था। इसमें उनकी बायीं आंख और कान पूरी तरह से खत्म हो गए। शरीर भी काफी हद तक जला हुआ है। आठ साल पहले गुड़गांव में नौकरी कर रहे र¨वदर इस हमले के बाद लाचार हो गए। नतीजतन अब परिवार पर पूरी तरह से आश्रित हैं। उनका कहना है कि जीना तो वह कब के भूल गए हैं अब तो सिर्फ ¨जदगी काट रहे हैं। इस आस में कि उन पर क्रूरता बरतने वाली को सलाखों को पीछे भेज सकें।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 09:55 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 09:55 PM (IST)
'क्रूरता बरतने वाली को सलाखों के पीछे देखने की उम्मीद में जी रहा हूं'
'क्रूरता बरतने वाली को सलाखों के पीछे देखने की उम्मीद में जी रहा हूं'

स्वदेश कुमार, पूर्वी दिल्ली : तेजाब हमले से पीड़ित युवतियों और महिलाओं के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं। इनकी चर्चा भी समय-समय पर होती रहती है, लेकिन तेजाब हमले के पीड़ित एक युवक की मदद के लिए कोई संगठन सामने नहीं आया। पीड़ित र¨वदर (36) पर करीब आठ साल पहले तेजाब से हमला किया गया था। आरोप है कि उनकी मंगेतर ने ही हमला किया था। इस हमले में उनकी बायीं आंख और कान पूरी तरह से खत्म हो गए। आठ साल पहले गुरुग्राम में नौकरी कर रहे र¨वदर इस हमले के बाद लाचार हो गए। नतीजतन अब परिवार पर पूरी तरह से आश्रित हैं। उनका कहना है कि इस उम्मीद में जी रहा हूं कि मुझ पर क्रूरता बरतने वाली को सलाखों के पीछे देख सकूं।

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मूल रूप से गांव-जाखडौंडा, कांडई, जिला रूद्रप्रयाग, उत्तराखंड निवासी र¨वदर 2009 में स्नातक और आइटीआइ की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए दिल्ली आ गए। तब उनकी उम्र 29 वर्ष थी। उनके पिता रा¨जदर सिंह बिष्ट सेना से सेवानिवृत्त होकर नोएडा में रह रहे थे। वह पिता के साथ रहने लगे। रविंदर को गुरुग्राम की एक कंपनी में नौकरी मिल गई। साल खत्म होते-होते घरवालों की मर्जी से ईस्ट विनोद नगर निवासी युवती से उनकी सगाई हो गई। शादी की तारीख 23 मई, 2010 तय हो गई। बकौल र¨वदर सगाई के कुछ समय बाद ही युवती ने उन्हें नजर अंदाज करना शुरू कर दिया। शादी की तिथि से पांच दिन पहले 18 मई को युवती ने र¨वदर को लाजपत नगर बुलाया। वहां से दोनों बस से ईस्ट विनोद नगर के लिए निकल गए। यहां पहुंचने के बाद किसी बात को लेकर युवती और र¨वदर में नोकझोंक शुरू हो गई। र¨वदर कुछ सामान उठाने के लिए सड़क पर झुके, तभी कथित तौर पर युवती ने उन पर तेजाब डाल दिया। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, एम्स और सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चला, लेकिन शरीर के जले हुए बायें हिस्से में कोई सुधार नहीं हुआ। बदल गया जीवन

र¨वदर को इस हादसे के कारण अपने गांव जाकर बैठना पड़ गया। आज भी र¨वदर दवाओं के भरोसे चल रहे हैं। एक आंख और एक कान से देख और सुन पाते हैं। दूसरी आंख और कान के साथ चेहरे के ऑपरेशन पर डॉक्टरों ने 20 लाख रुपये का खर्च बताया, जिसे परिवार वहन करने की स्थिति में नहीं है। सेक्टर-34, नोएडा में रह रहे पिता रा¨जदर सिंह 62 की उम्र में लोधी रोड स्थित एक कंपनी में काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि हमले के बाद कल्याणपुरी थाने में केस दर्ज हुआ था। तब से मामला कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रहा है। पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी, लेकिन अब तक फैसला नहीं हो पाया है। वह सिर्फ इस मुकदमे का फैसला सुनने के लिए दिल्ली में रह रहे हैं। कोर्ट में उनका केस लड़ चुके अधिवक्ता आदित्य ¨सघल का उन्होंने आभार जताया, जो उनकी पूरी मदद कर रहे हैं। आदित्य ¨सघल का कहना है कि हमारी कोशिश है कि यह अमानवीय कृत्य करने वाली को कठोर सजा मिले, लेकिन इसके साथ र¨वदर को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत है। ताकि वह इस नरकीय जीवन से वह बाहर निकल सके। इसमें कोर्ट जल्द हस्तक्षेप करे। सरकार, सामाजिक संस्था या फिर कोई व्यक्ति विशेष भी मदद के लिए आगे आए तो हम उनका स्वागत करेंगे।


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