विवाद बढ़ते ही LG ने होम आइसोलेशन के फैसले को लिया वापस, हजारों मरीजों को मिलेगी राहत
सरकारी व्यवस्था में पांच दिनों के क्वारंटाइन मामले में बढ़ते विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है। विवाद के बढ़ते ही एलजी अनिल बैजल ने इस फैसले को वापस ले लिया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कड़े विरोध के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 24 घंटे में ही अपना फैसला वापस ले लिया है और होम क्वारंटाइन व्यवस्था बहाल कर दी है। अब सरकारी व्यवस्था में उन्हीं मरीजों को क्वारंटाइन किया जाएगा, जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है और उनके पास होम क्वारंटाइन के लिए पर्याप्त जगह नहीं है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि दिल्ली में बहुत से लोगों के पास दो कमरे का या इससे भी छोटा घर है, जिसमें एक ही बाथरूम है। ऐसे लोगों को देखते हुए पांच दिन सरकारी व्यवस्था में मरीजों को क्वारंटाइन कराने की सलाह दी गई थी। बताया कि क्वारंटाइन को लेकर शनिवार को चर्चा हुई, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद पांच दिन क्वारंटाइन का फैसला वापस लिया गया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस फैसले के लिए उपराज्यपाल का आभार जताते हुए कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में उपराज्यपाल की आशंकाएं दूर कर दी गईं। दिल्ली सरकार किसी भी व्यक्ति को कोई तकलीफ नहीं होने देगी।
उपराज्यपाल बैजल ने शुक्रवार देर रात एक आदेश जारी कर मामूली रूप से संक्रमित या फिर बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को पांच दिन के लिए संस्थागत क्वारंटाइन किया जाना अनिवार्य कर दिया था। आदेश में कहा था कि इस दौरान डॉक्टर उनकी नियमित देखरेख करेंगे और यदि मरीज में सुधार होगा तो होम क्वारंटाइन कर दिया जाएगा।उपराज्यपाल के फैसले का आम आदमी पार्टी ने विरोध किया था। शनिवार दोपहर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रत्येक मरीज को सरकारी व्यवस्था में क्वारंटाइन करने के आदेश का जमकर विरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि होम क्वारंटाइन बंद कर देने से दिल्ली में अव्यवस्था फैल जाएगी।
पांच दिन सरकारी व्यवस्था में क्वारंटाइन का आदेश उचित नहीं है। इससे अस्पतालों में बेड की व्यवस्था कर पाना मुश्किल हो जाएगा। आइसीएमआर ने जब पूरे देश में बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम क्वारंटाइन की इजाजत दी है तो दिल्ली में अलग नियम क्यों बनाया जा रहा है। कोरोना पॉजिटिव ज्यादातर मरीज हल्के लक्षण या बिना लक्षण वाले हैं। इन्हें क्वारंटाइन करने के लिए व्यवस्था कहां से करेंगे। रेलवे ने जो क्वारंटाइन के लिए कोच दिए हैं, उसके अंदर इतनी गर्मी में कोई कैसे रहेगा? हमारी प्राथमिकता गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार देने की होनी चाहिए। अगर सभी मरीजों को भर्ती करेंगे तो बेड के साथ ही मेडिकल स्टाफ की समस्या भी खड़ी हो जाएगी। वहीं क्वारंटाइन के डर से मामूली लक्षण वाले लोग टेस्ट के लिए सामने आने से कतराएंगे, नतीजतन संक्रमण तेजी से फैलेगा। वहीं, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अभी लगभग 10 हजार से अधिक लोग होम क्वारंटाइन में हैं। वहीं क्वारंटाइन केंद्रों पर 6 हजार बेड खाली हैं, लेकिन यदि इन्हें पांच दिन के लिए भी क्वारंटाइन किया जाए तो बेड का इंतजाम करना चुनौती होगी।