सफदरजंग में मुफ्त हो सकेगा बेमेल ब्लड डोनर किडनी प्रत्यारोपण
रणविजय सिंह, नई दिल्ली विश्व किडनी दिवस व महिला दिवस के अवसर पर राजधानी के कई अस्पतालों मे
रणविजय सिंह, नई दिल्ली
विश्व किडनी दिवस व महिला दिवस के अवसर पर राजधानी के कई अस्पतालों में कार्यक्रम कर डॉक्टरों ने बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता का संदेश दिया। इस बीच किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए अच्छी खबर यह है कि केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल में बेमेल ब्लड ग्रुप डोनर से किडनी प्रत्यारोपण शुरू होगा। इस सुविधा के शुरू होने पर मरीज के किडनी प्रत्यारोपण के लिए डोनर ढूंढने में दिक्कत नहीं होगी। परिवार का कोई भी स्वस्थ सदस्य अपनी इच्छा से किडनी दान कर सकेगा। खास बात यह है कि यह तकनीक महंगी होने के बावजूद सफदरजंग अस्पताल में मरीजों को यह सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी।
किडनी या किसी भी अंग के प्रत्यारोपण के लिए मरीज और डोनर का ब्लड ग्रुप मैच (एक समान होना) जरूरी है। इस वजह से किडनी फेल्योर से पीड़ित मरीज के ब्लड ग्रुप से परिवार के किसी सदस्य का ब्लड ग्रुप मेल नहीं होने पर वे चाहकर भी किडनी दान नहीं कर पाते। इस वजह से मरीज प्रत्यारोपण से महरूम रह जाते हैं।
किडनी खराब होने पर वैसे तो डायलिसिस से मरीज वर्षो तक जिंदगी जी सकते हैं पर यह स्थायी इलाज नहीं है। मरीज को हर सप्ताह डायलिसिस की जरूरत होती है। इसलिए यह विकल्प मरीज के लिए कष्टदायक होता है। साथ ही खर्च भी ज्यादा होता है। ऐसे में किडनी प्रत्यारोपण ही स्थायी इलाज है। वर्तमान समय में दिल्ली के सरकारी क्षेत्र के सिर्फ चार अस्पतालों एम्स, आरएमएल, सफदरजंग और यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा है। डॉक्टर बताते हैं कि बेमेल ब्लड ग्रुप डोनर किडनी प्रत्यारोपण महंगा होने के कारण सरकारी अस्पतालों में इसका अधिक इस्तेमाल नहीं हो रहा है। सफदरजंग अस्पताल में अब तक 100 मरीजों को प्रत्यारोपण हो चुका है लेकिन बेमेल डोनर किडनी प्रत्यारोपण एक भी नहीं हुआ है।
अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि इस साल अस्पताल में बेमेल ब्लड डोनर किडनी प्रत्यारोपण शुरू कर दिया
जाएगा। इसके लिए तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक
तकनीक है। इसके लिए एक खास तरह (इम्यूनोएडजॉर्प्शन फिल्टर) की जरूरत होती है जो ब्लड से एंटीबॉडी को फिल्टर करता है। उन्होंने कहा कि सरकार व अस्पताल प्रबंधन मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध कराने के तैयार हैं। अस्पताल के यूरोलॉजी व किडनी प्रत्यारोपण के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुप कुमार ने कहा कि इस तकनीक के शुरू होने का फायदा यह होगा कि अधिक मरीजों को प्रत्यारोपण का लाभ मिल पाएगा। निजी अस्पतालों में इस तकनीक से किडनी प्रत्यारोपण पर 10,00,000-12,00,000 रुपये खर्च होता है क्योंकि मरीज को महंगी दवाएं भी देनी पड़ती है पर अस्पताल में यह सुविधा मुफ्त उपलब्ध होगी।