7th Pay Commission को लेकर 1 जून से राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाएंगे डाक्टर
डाक्टरों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगे नहींं मानी गई तो वो एक जून से राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चले जाएंगे।
नई दिल्ली। डाक्टरों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगे नहींं मानी गई तो वो एक जून से राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चले जाएंगे। इस हड़ताल में एम्स के डाक्टर भी शामिल होंगे। इस एलान के बाद सरकार सकते में आ गई है। हालांकि अभी केंद्र या दिल्ली सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहींं आई है।
दिल्ली में इस हड़ताल के एलान में एम्स, सफदरजंग, जीटीबी अस्पताल के चिकित्सक भी शामिल हैं। सभी अस्पतालों के चिकित्सक फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएसन के बैनर तले लेडी होर्डिंग में एकत्र हुए और उन्होंने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया।
आज राजधानी दिल्ली में एक बार फिर मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सातवें वेतन आयोग एवं अन्य भत्तों को लेकर राजधानी दिल्ली के रेजिजेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
हड़ताल के कारण दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बाधित हैं। डाक्टर अस्पतालों में आएं तो जरूर हैं, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। इससे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को दिक्कत पेश आ रही है।
डॉक्टरों की मांग है कि नॉन प्रैक्टिसिंग अलाऊंस (एनपीए) को 40 प्रतिशत बढ़ाया जाए, जोकि फिलहाल उन्हें 20 प्रतिशत बढ़ाया जाए। इसके अलावा डॉक्टरों ने ऑपरेशन थिएटर, फोन के लिए अलाऊंस देने की मांग की है। इस हड़ताल के बारे में फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि लगता है कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।
जिन अस्पतालों में इस हड़ताल का असर पड़ेगा वो हैं सफ्दरजंग अस्पताल, राम मनोहर अस्पताल, लेडी हार्डिंग अस्पताल,लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल,दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल,बाड़ा हिन्दूराव अस्पताल समेत दिल्ली के 15 बड़े अस्पताल।
डाक्टरों को का कहना है कि इन मांगों के न सुने जाने से उन्हें तो परेशानी हो ही रही है साथ ही अस्पताल में आनेवाले मरीजों की भी दुर्गति होती है।
फोर्डा के अध्यक्ष डॉ. पंकज सोलंकी ने कहा कि आयोग की सिफारिशों में संशोधन की मांग को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेद्र जैन के अलावा केंद्र व दिल्ली सरकार के सचिवों को पत्र लिखा गया था, लेकिन कहीं से उसका कोई जवाब नहीं आया है।
सरकार ने हमें वार्ता के लिए भी नहीं बुलाया है। लिहाजा हड़ताल करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। रेजिडेट डॉक्टरों का कहना है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिश में डॉक्टरों को मिलने वाला गैर प्रैक्टिस भलाा (एनपीए) को कम कर दिया गया है, इसलिए डॉक्टर एनपीए को बढ़ाने और उसे बेसिक वेतन मान मे जोड़ने की मांग कर रहे है।
इसके अलावा डॉक्टरों का कहना है कि वे कई ऐसी बीमारियों का इलाज करते हैं, जिसके चलते उन्हें संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसके लिए अलग से भत्ता देने की भी मांग कर रहे हैं।वहीं आयोग की सिफारिशों मे कहा गया है कि डॉक्टरों का वेतन अतिरिक्त सचिव से ज्यादा नही हो सकता।