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टूजी मामले में पौधे लगाने के बाद होगी सुनवाई

टूजी घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एवं केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) की चुनौती याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि पौधारोपण की प्रक्रिया पूरी होने तक सुनवाई नहीं होगी। न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने इस टिप्पणी के साथ याचिका को 24 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया। बता दें कि टूजी मामले में तीन महीने का समय बीतने के बावजूद भी जवाब नहीं दाखिल करने से नाराज हाई कोर्ट ने 7

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 08:13 PM (IST)
टूजी मामले में पौधे लगाने के बाद होगी सुनवाई
टूजी मामले में पौधे लगाने के बाद होगी सुनवाई

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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टूजी घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एवं केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) की चुनौती याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि पौधरोपण की प्रक्रिया पूरी होने तक सुनवाई नहीं होगी। न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने इस टिप्पणी के साथ याचिका को 24 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

बता दें कि टूजी मामले में तीन महीने का समय बीतने के बावजूद भी जवाब नहीं दाखिल करने से नाराज हाई कोर्ट ने 7 फरवरी को स्वान टेलीकॉम प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजीव अग्रवाल, डायनेमिक रियलिटी, डीबी रियलिटी लिमिटेड एवं निहार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को भी 3-3 हजार पौधे लगाने के आदेश दिए। इस पर 6 मार्च को पक्षकारों ने हाई कोर्ट से पौधे लगाने व रखरखाव करने से राहत देने की मांग की थी। पीठ ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया था। हालांकि बलवा व उद्यमी राजीव अग्रवाल की पौधों की संख्या कम करने की मांग को स्वीकार करते हुए पौधों की संख्या तीन हजार से घटाकर 1500 कर दिया था। बता दें कि सीबीआइ द्वारा दर्ज किए गए टूजी घोटाला मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा एवं राज्यसभा सदस्य कनीमोझी समेत सभी 17 आरोपितों को बरी कर दिया था। वहीं ईडी द्वारा दर्ज किए गए मनी लांड्रिग मामले में डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालू अम्मल, विनोद गोएनका, आसिफ बलवा, फिल्म प्रोड्यूसर करीम मोरानी, पी. अमृथम, कलाइग्नर टीवी के निदेशक शरद कुमार को बरी किया गया था। निचली अदालत के फैसले को सीबीआइ एवं ईडी ने मार्च माह में हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।


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