सार्वजनिक वाहन सड़कों पर आने को नहीं तैयार
रनर1ऑटो ह्लह्यह्म तीन सवारी एलाऊ है अब परमिशन एक ही है 2 सवारी का नुकसान 2 ग्रामीण सेवा द्गष्श्र द्घह्मद्बद्गठ्ठस्त्रद्य4 स्द्ग2ड्ड द्घड्डह्ल द्घड्डह्ल स्द्ग1ड्ड द्वद्ग 6 सवारी एलाऊ है आप परमिशन 2 की है 4 सवारी हर चक्कर नुकसान हो रहा ह कम से कम 20 चक्कर आने जाने का लगाती ह
राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली : लॉकडाउन के चौथे चरण में दी गई छूट के बाद भी छोटे सार्वजनिक वाहन सड़कों पर आने को तैयार नही हैं। वाहन चालकों का कहना है कि कम सवारी बैठाने के नियम से उन्हें नुकसान हो रहा है। सरकार उनकी आर्थिक मदद करे या नियमों में छूट दे।
लॉकडाउन के चौथे चरण में दिल्ली सरकार ने ऑटो, टैक्सी ग्रामीण सेवा, फटफट सेवा व आरटीवी वालों को चलने की छूट दी है, लेकिन परिचालन के लिए बनाए गए नियमों का विरोध कर रहे हैं। इनमें से सभी श्रेणी के 20 से 25 फीसद ही वाहन चल रहे हैं। उनका कहना है कि वाहनों में सवारियों की संख्या बढ़ाई जाए। इतनी कम सवारियों के साथ चलने में उनके वाहन का भी खर्च नहीं निकल सकेगा।
उधर दिल्ली सरकार साफ कर चुकी है कि नियमों में किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि 'हमें लोगों की जिदगी भी प्यारी है। हम उनके जीवन के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं।'
इस संबंध में कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष चंदू चौरसिया का कहना है कि 'ऐसी स्थिति में हम लोग कैसे अपने वाहन सड़कों पर उतारें। ऊपर से परिवहन विभाग की कार्रवाई का डर है। यदि गलती से एक भी सवारी अधिक मिल गई तो वाहन चालक को जेल जाना होगा। दो माह से हमारे वाहन खड़े हैं। इसका टैक्स भी हमसे मांगा जा रहा है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए।'
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इन वाहन चालकों को प्रति चक्कर इतना हो रहा है नुकसान
वाहन - व्यवस्था - अनुमति - नुकसान
ऑटो 3 1 2
ग्रामीण सेवा 6 2 4
इको फ्रेंडली 6 2 4
फटफट सेवा 6 2 4
ई रिक्शा 4 1 3
आरटीवी 25 11 14
मैक्सी कैब 12 6 6