विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए होम क्वारंटाइन से जुड़े दिशा निर्देश में बदलाव करने की मांग, कोर्ट पहुंची याचिका
याचिकाकर्ता प्रवासी लीगल सेल ने अधिवक्ता एमपी श्रीविगणेश के माध्यम से याचिका दायर की। याचिका में मांग की गई कि सात दिनों के बजाय 72 घंटे का होम-क्वारंटाइन करने के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया जाए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए होम-क्वारंटाइन करने से जुड़े दिशानिर्देश में बदलाव करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता प्रवासी लीगल सेल ने अधिवक्ता एमपी श्रीविगणेश के माध्यम से याचिका दायर की। याचिका में मांग की गई कि सात दिनों के बजाय 72 घंटे का होम-क्वारंटाइन करने के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने दलील दी कि कई देशों ने होम क्वारंटाइन की अवधि को 72 घंटा किया गया है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि केंद्र सरकार ने सात जनवरी को नोटिस जारी कर होम क्वारंटाइन की अवधि सात दिनों की कर दी जो 11 जनवरी से लागू है। वहीं, यात्रियों से आरटी-पीसीआर टेस्ट भी सरकार के पोर्टल पर डाउनलोड करने को कहा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरफ लोगों होम-क्वारंटाइन पर भेज दिया जाता है, दूसरी तरफ आरटी-पीसीआर टेस्ट भी सात दिन बाद किया जाता है। बेहतर है कि लोगों से 72 घंटे पहले का आरटी पीसीआर टेस्ट लिया जाए।
मालूम हो कि बीते 7 जनवरी को देश में कोरोना के मामलों में काफी बढ़ोतरी थी। उस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार एक दिन में एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे। ऐसे में संक्रमण के काबू में लाने के लिए तमाम पाबंदियां लगाई जाने लगी है। इसी बीच विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए गए। इसके अनुसार लोगों को सात दिनों तक अनिवार्य तौर पर होम क्वारंटाइन में रहना तय किया गया था। ये नियम 11 जनवरी से अगले आदेश तक लागू होने की बात कही गई थी।
ये भी कहा गया था कि जो विदेशी यात्री भारत पहुंचेगे उनको भारत पहुंचने के आठवें दिन आरटी-पीसीआर टेस्ट करानी होगी। इसकी रिपोर्ट एयर सुविधा पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। नेगेटिव आने पर उन्हें अगले सात दिनों तक अपने स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करनी होगी। हालांकि, यदि कोई संक्रमित पाया जाता है, तो उसका सैंपल जीनोमिक सीक्वेंसिंग के लिए आगे भेजा जाएगा।
संक्रमित पाए गए लोगों को आइसोलेशन सेंटर में रखा जाएगा। उनकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग सहित निर्धारित प्रोटोकाल के अनुसार, इलाज किया जाएगा। इनके संपर्क में आए लोगों को प्रोटोकाल के अनुसार संबंधित राज्य सरकार की निगरानी में होम क्वारंटाइन में रहना होगा। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को आने से पहले और बाद में टेस्टिंग में छूट दी गई है।