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Uphaar Cinema Fire Case: जेल में ही रहेंगे सुशील व गोपाल अंसल, सजा निलंबित करने की याचिका खारिज

1997 Uphaar Fire Tragedy Case 1997 के उपहार अग्निकांड से जुड़े सुबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में सजा सुनाने के फैसले को सत्र न्यायाधीश के समक्ष चुनौती देने वाली अंसल बंधुओं की याचिका खारिज हो गई है। सत्र न्यायाधीश ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखी है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 06:35 PM (IST)
Uphaar Cinema Fire Case: जेल में ही रहेंगे सुशील व गोपाल अंसल, सजा निलंबित करने की याचिका खारिज
अंसल बंधुओं को मिली सजा रहेगी बरकरार, सत्र न्यायालय ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 1997 के उपहार अग्निकांड से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में दोषी सुशील अंसल व गोपाल अंसल को जेल में रहना होगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने सात-सात सजा के कारावास की सजा को निलंबित करने से जुड़ी अंसल बंधुओं की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने साथ ही अंसल बंधुओं को जमानत पर रिहा करने से भी इन्कार कर दिया है।

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हांलाकि, सात-सात साल के कारावास और सवा दो करोड़-सवा दो करोड़ के जुर्माना लगाने के चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 23 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

अंसल बंधुओं ने अपील याचिका पर अंतिम निर्णय होने तक उनकी सजा को निलंबित करने की सत्र न्यायाधीश से मांग की थी। अंसल बंधुओं ने दलील दी थी कि वे कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं और उनकी सजा को निलंबित की जाए। वहीं, उपहार अग्निकांड पीडि़त एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने याचिका का विरोध किया था।

चीफ मेट्रोपानिटल मजिस्ट्रेट डा. पंकज शर्मा ने आठ नवंबर को अंसल बंधुओं को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर सवा दो-सवा दो करोड़ करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अंसल बंधुओं के अलावा मामले में अदालत के कर्मचारी रहे दोषी दिनेश चंद शर्मा व दो अन्य दोषी पीपी बत्रा एवं अनूप सिंह को भी सात साल की सजा सुनाई गई और सभी पर तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भी लगाया। मामले में दो आरोपितों हर स्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्रा की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।

यह है मामला

सुबूतों से छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई 2002 को पहली बार तब सामने आया था जब दिनेश चंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। दिनेश को पहले निलंबित किया गया और फिर 25 जून 2004 को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि बर्खास्तगी के बाद अंसल बंधुओं ने शर्मा को 15 हजार रुपये मासिक वेतन पर रोजगार दिलाने में भी मदद की थी। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिल्ली पुलिस ने माना था कि अंसल बंधुओं द्वारा सुबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से आपराधिक न्याय प्रणाली में आम आदमी का विश्वास कम हुआ है। उस समय शहर का सबसे संवेदनशील मामला था और ऐसे मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ को हल्के में नहीं लिया जा सकता था।

अग्निकांड प्रकरण में भी ठहराए गए थे दोषीउपहार सिनेमाघर में बार्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में भी सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, लेकिन उनके उम्र व जेल में बिताए गए समय को ध्यान में रखते 30-30 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना देने की शर्त रिहा कर दिया था।


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