Hindi Hain Hum : समय और परिस्थिति तय करती है भाषा की प्रकृति: राहुल महाजन
Hindi Hain Hum आज हिंदी को को लेकर कई तरह की बातें होती हैं उसमें अंग्रेजी के शब्दों के उपयोग पर सवाल उठते हैं। इसके मूल में हमारी शिक्षा प्रणाली रही है जिसमें अंग्रेजी को प्राथमिकता मिलती रही।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भाषा का मानकीकरण नहीं किया जा सकता है। इसकी प्रकृति या स्वरूप तो देश काल और परिस्थिति के हिसाब से ही तय होती है। हिंदी भाषा के इतिहास में इसको बहुत अच्छे तरीके से लक्षित किया जा सकता है कि ये कब और किन परिस्थितियों में बदलती गई। हिंदी में अरबी फारसी और अन्य भाषाओं के शब्द व्यवहार में हैं लेकिन सभी हिंदी की प्रकृति के अनुसार उपयोग किए जा रहे हैं। दरअसल भाषा को जानना और उसका उपयोग करना भी परिस्थिति तय करती है। हम जब हिंदी बोलते हैं और जब लिखते हैं तो उसमें अंतर हो जाता है। लिखने में भी जब समाचार पत्र के लिए लिखते हैं और साहित्य रचते हैं तब भी भाषा अलग हो जाती है। इसको समझकर ही भाषा के बारे में राय बनानी चाहिए। ये कहना था प्रसार भारती के कंटेंट प्रमुख राहुल महाजन का जो हिंदी उत्सव में मनीष तिवारी से बातचीत कर रहे थे। /p>
‘हिंदी हैं हम’ के हिंदी उत्सव में बोले प्रसार भारती के कंटेंट प्रमुख राहुल महाजन
आज हिंदी को को लेकर कई तरह की बातें होती हैं, उसमें अंग्रेजी के शब्दों के उपयोग पर सवाल उठते हैं। इसके मूल में हमारी शिक्षा प्रणाली रही है जिसमें अंग्रेजी को प्राथमिकता मिलती रही। खासकर उच्च शिक्षा और शोध में अंग्रेजी पर निर्भऱता अधिक रही।
अगर स्वतंत्रता के बाद उच्च शिक्षा और शोध में हिंदी को वरीयता दी गई होती तो आज हम इस तरह की चर्चा नहीं कर रहे होते। अंग्रेजी को वरीयता मिलने से समाज में एक भाषाई वर्ग विभेद भी पैदा हुआ। आपको बताते चलें कि अपनी भाषा को समृद्ध और मजबूत करने के लिए दैनिक जागरण का उपक्रम ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत हिंदी दिवस के मौके पर एक पखवाड़े का हिंदी उत्सव मनाया जा रहा है। इसमें फिल्म, पत्रकारिता, शिक्षा, समाजशास्त्र आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों से हर दिन बातचीत की जाती है।
बुधवार को कार्यक्रम
बुधवार शाम 6 बजे हिंदी हैं हम के फेसबुक पेज पर केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो नंदकिशोर पांडे से बात करेंगे जागरण ज्ञानवृत्ति के शोधार्थी निर्मल पांडे।