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अलकायदा आतंकी करना चाहता है कोरोना संक्रमित कैदियों का उपचार, कहा- अनुभव है गंभीर बीमारियों के इलाज का

पेशे से डाक्टर सबील अहमद को स्पेशल सेल ने हाल ही में गिरफ्तार किया था। उस पर आतंकी संगठन के सदस्यों को मदद पहुंचाने का आरोप है। अहमद ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में दायर अर्जी में कहा उसके पास गंभीर बीमारियों के उपचार का सात साल का अनुभव है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 10:40 PM (IST)
अलकायदा आतंकी करना चाहता है कोरोना संक्रमित कैदियों का उपचार, कहा- अनुभव है गंभीर बीमारियों के इलाज का
अलकायदा आतंकी करना चाहता है कोरोना संक्रमित कैदियों का उपचार, कहा- अनुभव है गंभीर बीमारियों के इलाज का

नई दिल्ली, जासं। अलकायदा के संदिग्ध आतंकी सबील अहमद ने पटियाला हाउस की विशेष अदालत में अर्जी दायर कर तिहाड़ जेल में बंद कोरोना संक्रमित कैदियों का उपचार करने की पेशकश की है। पेशे से डाक्टर सबील अहमद को स्पेशल सेल ने हाल ही में गिरफ्तार किया था। उस पर आतंकी संगठन के सदस्यों को मदद पहुंचाने का आरोप है।

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अहमद ने विशेष न्यायाधीश धर्मेद्र राणा की अदालत में दायर अर्जी में कहा कि उसके पास गंभीर बीमारियों के उपचार का सात साल का अनुभव है। उसका यह अनुभव जेल में बंद कैदियों के उपचार के काम आ सकता है। कोरोना संकट के मौजूदा हालात को देखते हुए वह जेल प्रबंधन की मदद करना चाहता है। अर्जी में उसने कहा है कि इस संबंध में जेल प्रबंधन को आदेश दिया जाए। बता दें कि अहमद पर विदेश में भी मानव बम तैयार करने का आरोप है। 2007 में उसने ब्रिटेन के एक एयरपोर्ट पर भी धमाका किया था। 2020 में उसे सऊदी अरब से डिपोर्ट कर दिया गया था और इसके बाद एनआइए ने बेंगलुरू से उसे गिरफ्तार कर लिया था।

जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को रिहा करने का आदेश

देश में कोरोना के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन कैदियों को पिछले साल महामारी के मद्देनजर जमानत या पैरोल दी गई थी, उन सभी को फिर वह सुविधा दी जाए।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूति एल नागेश्वर राव और सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि देशभर की जेलों में लगभग चार लाख कैदी हैं। उनका जीवन और स्वास्थ्य का अधिकार महामारी के चलते खतरे में है। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बनाई गई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा पिछले साल मार्च में जिन कैदियों को जमानत की मंजूरी दी गई थी, उन सभी को समितियों द्वारा पुनíवचार के बगैर पुन: वह राहत दी जाए, जिससे विलंब से बचा जा सके।


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