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FASTag: दिल्ली से सटे गुरुग्राम के खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर लगा लंबा जाम, कई घंटों से लोग परेशान

Traffic jam at Kherki Daula Toll Plaza एनएचएआइ परियोजना निदेशक शशिभूषण का कहना है कि मैं मानता हूं कि सौ फीसद फास्टैग लागू करने के बाद टोल प्लाजा पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है। दबाव कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 04:47 PM (IST)
FASTag: दिल्ली से सटे गुरुग्राम के खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर लगा लंबा जाम, कई घंटों से लोग परेशान
गुरुग्राम : खेडकी दौला टोल प्लाजा पर लगा जाम

गुरुग्राम (आदित्य राज)। जैसी आशंका थी वही खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर दिख रहा है। सौ फीसद फास्टैग सिस्टम लागू होने के बाद से पीक आवर के दौरान दोनों तरफ एक से दो किलोमीटर तक वाहनों का दबाव बन जाता है। बाकी समय के दौरान भी 400 से 500 मीटर तक वाहनों की लाइनें लगी रहती हैं। बुधवार सुबह काफी देर तक कई एंबुलेंस से लेकर फायर बिग्रेड की गाड़ियां भी फंसी रहीं। परेशान लोगों के मुख से एक ही आवाज निकल रही है कि दोनों तरफ कम से कम एक-एक कैश लेन होनी चाहिए।

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दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे के खेड़कीदौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन 75 से 80 हजार वाहन निकलते हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का भी मानना है कि 15 फीसद वाहनों में फास्टैग नहीं है। यही नहीं वाहनों के दबाव के हिसाब से कम से कम 40 लेन होनी चाहिए जबकि केवल 25 लेन ही है। इसके बाद भी सभी लेन में फास्टैग सिस्टम लागू कर दिया गया। नतीजा यह है जिन वाहनों में फास्टैग की सुविधा नहीं है वे फास्टैग लेनों से ही निकलने का प्रयास करते हैं। कुछ वाहन चालक फास्टैग रिचार्ज करने पर ध्यान नहीं देते हैं। उनसे भी दोगुना टैक्स वसूला जाता है। इस वजह से चालकों की टोलकर्मियों से बहस होती है। कुछ कैमरे भी सही से फास्टैग रीड नहीं करते। इन वजहों से वाहनों का दबाव बढ़ता है।

काम पर समय से नहीं पहुंचे हजारों लोग

टोल प्लाजा पर ट्रैफिक के दबाव की वजह से हजारों लोग समय से काम पर नहीं पहुंचे। लोगों का कहना है बिना तैयारी के इस बार भी सौ फीसद फास्टैग लागू किया गया है। सेक्टर-31 निवासी राजकुमार एवं नरेश दहिया मानेसर स्थित एक ऑटोमोबाइल कंपनी में काम करते हैं। उनका भी कहना है दोनों तरफ कम से कम एक-एक कैश लेन होनी चाहिए। ऐसी सुविधा न होने पर कैश वाले वाहन फास्टैग में घुसेंगे ही। यदि आबादी से दूर टोल प्लाजा होता तो दिक्कत नहीं होती। आबादी के बीच है। टोल के दायरे से बाहर वाले वाहनों की संख्या भी काफी अधिक है। इनके लिए भी दोनों तरफ केवल एक-एक लेन निर्धारित है। इस वजह से भी वाहनों का दबाव बढ़ता है।

मानेसर निवासी मिथिलेश कुमार ने बताया कि मेरी कार में फास्टैग की सुविधा है। फिर भी मैं चाहूंगा कि दोनों तरफ एक-एक कैश लेन होनी चाहिए। एक-एक कैश लेन की सुविधा देने के बाद ही सभी फास्टैग लेन से वाहन तेजी से निकल पाएंगे। आखिर जिन वाहनों में फास्टैग नहीं है, वे कहां से जाएंगे?

एक अन्य वाहन चालक ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक एक-एक कैश की सुविधा देनी ही होगी। धीरे-धीरे सभी वाहनों में फास्टैग लग जाएंगे। अधिकारी खुद मानते हैं कि 15 फीसद वाहनों में फास्टैग नहीं, फिर भी सभी लेन में फास्टैग अनिवार्य कर दिया गया। जानबूझकर समस्या पैदा की गई है।

अधिवक्ता भगत सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि दोनों तरफ एक-एक कैश लेन होनी ही चाहिए। किसी का यदि फास्टैग रिचार्ज नहीं हो तो वह कैश देकर निकल सकेगा। वैसे खेड़कीदौला टोल प्लाजा को हटाना ही समस्या का समाधान है। इससे विकास प्रभावित हो रहा है।

एनएचएआइ परियोजना निदेशक शशिभूषण का कहना है कि मैं मानता हूं कि सौ फीसद फास्टैग लागू करने के बाद टोल प्लाजा पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है। दबाव कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वाहन चालकों से अपील की जा रही है कि वे फास्टैग ले लें। इसके लिए मैंने बुधवार को भी टोल प्लाजा का दौरा किया है।


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