Move to Jagran APP

कोरोना की रोकथाम में मददगार है क्लोरोक्वीन का नेजल ड्रॉप, एम्स के डॉक्टरों के अध्‍ययन में खुलासा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences AIIMS) नई दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि क्लोरोक्विन (सीक्यूएन) का नेजल ड्रॉप (नाक के जरिये दी जाने वाली दवा) कोरोना की रोकथाम में मददगार है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 06:54 PM (IST)
कोरोना की रोकथाम में मददगार है क्लोरोक्वीन का नेजल ड्रॉप, एम्स के डॉक्टरों के अध्‍ययन में खुलासा
क्लोरोक्विन का नेजल ड्रॉप कोरोना की रोकथाम में मददगार है।

नई दिल्ली, एएनआइ। अखिल भारतीय आयुíवज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि क्लोरोक्विन (सीक्यूएन) का नेजल ड्रॉप (नाक के जरिये दी जाने वाली दवा) कोरोना की रोकथाम में मददगार है। हालांकि इसका ज्यादा प्रभाव तब देखने को मिलता है जब इसका इस्तेमाल संक्रमण की चपेट में आने से पहले हो। अध्ययन का उद्देश्य वायरल लोड को कम करने और प्रारंभिक कोविड-19 संक्रमण में इसकी उपयोगिता का पता लगाना था।

loksabha election banner

नाक से दी जाने वाली सीक्यूएन प्रभावी

एम्स के ऑर्टोहिनोलैरिंगोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. आलोक ठाकर ने बताया कि मौजूदा अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम में नाक से दी जाने वाली सीक्यूएन की बूंदें प्रभावी हैं। अगर कोई व्यक्ति कोरोना से हल्का या गंभीर रूप से संक्रमित है तो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्लीनिकल और वायरोलॉजी संबंधी जांच में भी यह बात सामने आई है।

अध्ययन को मिली मंजूरी

इस अध्ययन के जरिये यह भी पता करना था कि सीक्यूएन के नेजल ड्रॉप का हल्के रूप से कोरोना संक्रमण से प्रभावित मरीजों या फिर जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं हैं, उन पर क्या असर पड़ता है। अध्ययन को संस्थागत जैव-सुरक्षा संबंधी मंजूरी मिल चुकी है और इसे भारत के क्लीनिकल परीक्षण रजिस्ट्री ने भी पंजीकृत किया है।

ऐसे हुआ अध्ययन

अध्ययन एम्स में कोविड-19 के लिए नामित एक विशेष स्थान (एनसीआइ-झज्जर कैंपस) में किया गया। अध्ययन के लिए 60 प्रतिभागियों का चयन 23 अप्रैल से छह मई, 2020 के बीच किया गया और सभी प्रतिभागियों से लिखित लिखित सहमति प्राप्त की गई थी।

10 दिनों तक दी गई दवा

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में यह भी बताया गया है कि प्रतिभागियों में कुछ हल्के रूप से संक्रमित थे या फिर उनमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिख रहा था। इसकी पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण का भी सहारा लिया गया। इन सभी मरीजों को 10 दिनों तक छह बार 0.5 मिलीमीटर प्रति खुराक के हिसाब से नाक के जरिये क्लोरोक्वीन की बूंदें दी गई।

क्या कहा गया है निष्कर्ष में

नाक के जरिये क्लोरोक्वीन देने के तरीके को सुरक्षित पाया गया है। हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों में भी इसे उपयोगी पाया गया। लेकिन सैंपल साइज काफी कम होने की वजह से इसमें ज्यादा लोगों को शामिल करने की बात कही गई है। 

यह भी पढ़ें- स्‍कूली छात्रों के लिए कारगर होगी नेजल वैक्‍सीन, जानें क्‍या कहते हैं एम्‍स के निदेशक डॉ. गुलेरिया 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.