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कुश्ती के बाद अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट में दिखेगा ‘भारतीय शेरनी’ रितू फोगाट का जौहर

2016 में सिंगापुर के कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली रेसलर रितू फोगाट अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में अपना जौहर दिखाएंगी। पहलवानों के परिवार से आने वाली रितू को बचपन से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स आकर्षित करता था।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:30 AM (IST)
कुश्ती के बाद अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट में दिखेगा ‘भारतीय शेरनी’ रितू फोगाट का जौहर
2016 में सिंगापुर के कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली रेसलर रितू फोगाट। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। 2016 में सिंगापुर के कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली रेसलर रितू फोगाट अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में अपना जौहर दिखाएंगी। आगामी 30 अक्टूबर को सिंगापुर में ही आयोजित हो रहे ‘वन: इनसाइड द मैट्रिक्स’ टूर्नामेंट में रितू का मुकाबला कंबोडिया की मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स चैंपियन नाउ स्रे पोव से होने जा रहा है। रितू के अनुसार, ये रोमांचक मैच होगा जिसके लिए वह पूरी तरह तैयार हैं। उनका एक ही मकसद है देश को मिक्सड मार्शल आर्ट में पहला वर्ल्ड चैंपियन देना।

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पहलवानों के परिवार से आने वाली रितू को बचपन से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स आकर्षित करता था। लेकिन कभी सोचा नहीं था कि वह इसे पेशेवर रूप से भी लेंगी। लेकिन एक समय आया जब उन्हें यह बात काफी खटकने लगी कि अब तक भारत से किसी ने भी मिक्स्ड मार्शल आर्ट का खिताब हासिल नहीं किया है। कोई चैंपियन नहीं बना है। साल 2019 के फरवरी महीने की घटना है, रितू ने इस कमी को भरने के उद्देश्य से सिंगापुर स्थित विश्व के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन, वन चैम्पियनशिप (वन) के साथ जुड़ने का निर्णय लिया।

वह बीते डेढ़ साल से अकेले सिंगापुर में रहकर मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ले रही हैं। रितू बताती हैं, ‘मेरे लिए यह बिलकुल नया स्पोर्ट्स है। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई। नए देश में नया गेम सीखने का चैलेंज था। उसी बीच कोविड भी आ गया और लॉकडाउन के कारण ट्रेनिंग वगैरह बंद हो गई। लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है। मैंने ऑनलाइन व वीडियोज की मदद से अभ्यास जारी रखा। इसमें कोच काफी मदद करते हैं, जिससे खेल में अच्छा सुधार हुआ है।' 

नाउ के साथ मैच के लिए हैं तैयार 

रितू को ‘भारतीय शेरनी’ (द इंडियन टाइग्रेस) के नाम से भी जाना जाता है। जब वे अपने विरोधियों को धराशायी करती थीं, तो प्रशंसकों की तालियों की गड़गड़ाहट पूरे स्टेडियम में गूंजने लगती थी। लेकिन इस बार बिना दर्शकों के मैच होंगे। इस पर उनका कहना है कि थोड़ा फर्क तो पड़ेगा, क्योंकि दर्शकों की ऊर्जा का अलग ही असर होता है। लेकिन यह भी सच है कि रिंग में रहते हुए हमें सिर्फ अपने खेल पर फोकस करना होता है। मैं भी वही करूंगी।

एक चैंपियन के साथ फाइट को लेकर अपनी तैयारियों के बारे में रितू ने बताया कि रेसलिंग मेरी ताकत है और मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की बारीकियों पर मैंने काम किया है। नाउ बेहतरीन फाइटर हैं। लेकिन मैंने भी पूरी मेहनत की है। हां, शुरुआत में स्ट्राइकिंग को लेकर थोड़ी परेशानी होती थी, जिस पर मैंने काम किया है। उम्मीद है कि अपने चाहने वालों को निराश नहीं करूंगी। मेरे पापा हमेशा यही कहते हैं कि एक एथलीट को मानसिक रूप से भी काफी मजबूत रहना होता है, जो मैं हूं। परिवार से इतनी दूर, अकेले रहना कहीं से आसान नहीं है। लेकिन मैं अकेले ही सब कुछ मैनेज कर रही हूं। फिर वह घर की साफ-सफाई हो या खाना बनाना। 

डाइट से लेकर वर्कआउट पर फोकस 

सिंगापुर का खानपान अलग है। इसलिए रितू को भी अपनी डाइट में थोड़े परिवर्तन लाने पड़े हैं। वे कोच के निर्देशानुसार डाइट लेती हैं, जिसमें प्रोटीन एवं मल्टी विटामिन सप्लीमेंट्स भी होते हैं। रितू की मानें, तो एक खिलाड़ी के लिए सबसे जरूरी होता है कि उसका समूचा ध्यान सिर्फ अपने खेल को सुधारने पर हो। इसलिए वे किसी बात का तनाव नहीं लेती हैं। वर्कआउट के साथ ही मेडिटेशन एवं योग करती हैं। संगीत सुनती हैं। बहनें इनकी सबसे बड़ी इंस्पिरेशन हैं।

उनके लिए रितू क्रिकेटर विराट कोहली एवं रूस के मिक्स्ड मार्शल आर्ट चैंपियन खबीब के वीडियोज देखती हैं। उनसे प्रेरणा लेती हैं। रितू कहती हैं,‘कोई भी खेल हो, उसमें अनुशासन, समर्पण एवं एकाग्रता की जरूरत होती है। तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं। मैं कुछ सपने एवं लक्ष्य लेकर यहां आई हूं, तो उन्हें पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगी, ताकि देश का नाम रोशन कर सकूं। मैं चाहती हूं कि भारत के खिलाड़ी एवं लड़कियां भी मिक्स्ड मार्शल आर्ट में आगे आएं। सरकार की ओर से भी इसे प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।'

सकारात्मक रहना है पसंद 

इन दिनों खिलाड़ियों के बायोपिक को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। उन पर बनने वाली फिल्में भी हिट हो रही हैं। क्या रितू भी ऐसा कुछ करना चाहेंगी, इस पर उनका कहना था कि मैं अपनी बायोपिक खुद ही बनाऊंगी। क्योंकि मेरे संघर्ष या जीवन की कहानी को मुझसे बेहतर कोई और नहीं बता सकेगा। वैसे, फिलहाल उनका पूरा फोकस एमएमए चैंपियन का खिताब जीतने पर है। देश एवं प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरना है।

अच्छी बात यह है कि रितू इन उम्मीदों से दबाव में नहीं आतीं, बल्कि नकारात्मकता या आलोचना को भी सकारात्मक रूप से लेती हैं। कड़ी मेहनत करती हैं। मैच के पहले तो उनका उत्साह अपने चरम पर रहता है। उनके दिमाग में सिर्फ खेल और विरोधी खिलाड़ी होते हैं। आपको बता दें कि रितू ने नवंबर 2019 में बीजिंग में हुए वन चैंपियनशिप: एज ऑफ ड्रैगन्स टूर्नामेंट में नैम ही किम के खिलाफ मैच खेलकर मिक्स्ड मार्शल आर्ट के क्षेत्र में पदार्पण किया था। इसके बाद उन्होंने फरवरी 2020 में कलांग, सिंगापुर में वन चैंपियनशिप: किंग ऑफ द जंगल टूर्नामेंट में चियाओ चेन वू के खिलाफ खेला था। दोनों ही मैच रितू ने अपने नाम किए थे। इस बार भी उनकी कोशिश जीत की हैट्रिक लगाने की होगी। 

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