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निर्जला व्रत रख मां पार्वती व भगवान शिव से की अखंड सुहाग की प्रार्थना

फोटो नंबर 6 यूटीएम 8 बृहस्पतिवार को पति की लंबी आयु व सुख-समृद्धि समेत अन्य कई कामनाओं को ले महिलाओं ने पूरी आस्था श्रद्धा एवं विश्वास के साथ निर्जला व्रत को रखा

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 10:59 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:12 AM (IST)
निर्जला व्रत रख मां पार्वती व भगवान शिव से की अखंड सुहाग की प्रार्थना
निर्जला व्रत रख मां पार्वती व भगवान शिव से की अखंड सुहाग की प्रार्थना

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : अच्छे वर की प्राप्ति व अखंड सुहाग के लिए रखे जाने वाले कजरी तीज का व्रत महिलाओं के लिए काफी खास है। बृहस्पतिवार को पति की लंबी आयु व सुख-समृद्धि समेत अन्य कई कामनाओं को ले महिलाओं ने पूरी आस्था, श्रद्धा एवं विश्वास के साथ निर्जला व्रत को रखा। रात को चांद देखने के बाद व्रत के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए लड्डू का सेवन कर व्रत का समापन किया। शाम को व्रतियों ने सोलह श्रृंगार कर श्रृद्धा व आस्था के साथ मां पार्वती व भगवान शिव की अराधना की।

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पालम निवासी मीना ने बताया कि कजरी तीज का व्रत बेहद खास है, क्योंकि इसकी तैयारियां सप्ताह भर पहले ही शुरू हो जाती है। परिवार के साथ मिलकर तरह-तरह के लड्डू तैयार किए जाते है। असल में व्रत के समापन के लिए आटा, चावल, बेसन, चना, मैदा, गेंहू के अलग-अलग लड्डू तैयार किए जाते है और इन्हीं का सेवन कर व्रत का समापन किया जाता है। समय के साथ तमाम चीजों को जुटा पाना थोड़ा मुश्किल है। पर मेरी पूरी कोशिश रहती है कि रिवाज को बरकरार रखो। आधुनिक युग में यह एक सुखद अहसास व परिवार के बीच की डोर को मजबूत बनाता है। दूसरी खास बात यह है कि ये व्रत मैं और मेरी बेटी दोनों करते है। सात साल की उम्र से ही मेरी बेटी हर साल इस व्रत को करती आ रही है। मैं, मेरी बेटी, मेरी ननद व आस पड़ोस की महिलाओं मिलकर व्रत का पूजन किया। सुबह नहा-धोकर मैं और मेरी बेटी मंदिर में गए और वहां हमने नीम के पेड़ में जल अर्पण कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद शाम को घर में भी नीम के पेड़ की पूजा की।

शोभा ने बताया कि पति की सलामती के लिए मैं हर साल कजरी तीज का निर्जला व्रत रखती हूं। यदि सच्चे मन से मनोकामना की जाए तो व्रत का फल हर हाल में प्राप्त होता है। वहीं गायत्री ने बताया कि हमारे राजस्थान में कजरी तीज को नीमड़ी माता के नाम से जाना जाता है। इसलिए इस दिन नीम के पेड़ की पूजा का महत्व है।


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