LNJP के निदेशक का दावा- जरूरतमंद कोरोना मरीजों को नि:शुल्क दी जा रही रेमडेसिवीर दवा
दिल्ली ने कोरोना पर काफी हद तक विजय हासिल कर ली है। यदि अगले दो-तीन सप्ताह में स्थिति और सुधरी तो दिल्ली का मॉडल काफी सफल हो जाएगा।
नई दिल्ली। महामारी कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो लोकनायक अस्पताल में दो हजार बेड की व्यवस्था करने के साथ ही इसे देश का सबसे बड़ा कोविड अस्पताल बनाया गया। अब जब दिल्ली में कोरोना के मामले कम हो गए हैं तब भी इस अस्पताल में करीब 350 मरीज भर्ती हैं। एक समय इस अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल भी उठाए गए।
वहीं प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू करने की उपलब्धि भी इस अस्पताल से जुड़ी। अस्पताल की चुनौतियां, कोरोना के मौजूदा हालात व आने वाले दिनों में दिल्ली में कैसी स्थिति रहने की संभावना है, इन तमाम पहलुओं पर लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार से संवाददाता रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश..
लोकनायक अस्पताल देश में सबसे बड़ा कोविड अस्पताल है, आपका क्या अनुभव रहा है?
एक समय अस्पताल में 800 से 900 कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती रहे। इतने मरीजों का इलाज और उनके लिए समुचित व्यवस्था करना आसान बात नहीं थी। देश में सबसे ज्यादा करीब 7600 मरीज लोकनायक अस्पताल में भर्ती किए गए। सबसे अधिक 4800 कोरोना के मरीज इस अस्पताल से ठीक होकर गए। इसके अलावा सैकड़ों संदिग्ध मरीज भी ठीक हुए। मधुमेह, किडनी व हार्ट की बीमारियों से पीड़ित कोरोना संक्रमित मरीजों का भी इलाज हुआ। इसका कारण यह है कि यहां के डॉक्टरों, नर्स व पैरामेडिकल कर्मचारियों ने एक टीम के रूप में एकजुटता से काम किया। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्लाज्मा का ट्रायल पहले इस अस्पताल में ही शुरू हुआ। अब तक 74 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। प्लाज्मा बैंक भी खुला और आइसीयू की सुविधा भी बढ़ाई गई। इससे परिणाम अच्छे आए। दिल्ली मॉडल की सफलता में एक अहम भूमिका लोकनायक अस्पताल की भी रही।
अस्पताल के सामने किस तरह की चुनौतियां थीं और उसे दूर करने के लिए क्या उपाए किए गए ?
शुरुआत में हर किसी के मन में डर था। डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल कर्मचारी सभी घबराए हुए थे। काफी संख्या में डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी भी कोरोना के चपेट में आ गए। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर की मौत भी हो गई। इस वजह से सभी और घबराए हुए थे। इस डर को बाहर निकालने के लिए सभी का उत्साहवर्धन किया गया। यह भी समझाया गया कि उन्हें युद्ध स्तर पर काम करना होगा। इससे कर्मचारियों पर सकारात्मक असर पड़ा और सबके मन में यह भाव आया कि कोरोना एक दिन जरूर हारेगा। मिशन के तहत हम काम कर रहे हैं, जिसमें हमें कामयाबी मिली। एक समय तीमारदारों की शिकायत थी कि उन्हें मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसलिए वीडियो कॉलिंग की सुविधा शुरू की गई। विदेश में इस तरह की सुविधा मरीजों को दी जा रही थी। उसे यहां भी लागू किया गया। रेमडेसिवीर जैसी नई दवाएं भी अब अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को नि:शुल्क दी जा रही हैं। इससे मरीजों के इलाज में बेहतर परिणाम दिखा।
रेमडेसिवीर दवा किस तरह के मरीजों को दी जा रही है?
यह दवा उन मरीजों को दी जा रही है, जिनके शरीर में ऑक्सीजन की मात्र थोड़ी कम होने लगती है। जो कम गंभीर (मॉडरेट) होते हैं। इसके अलावा गंभीर मरीजों को भी यह दवा दी जा रही है। इससे मरीजों के इलाज में बेहतर परिणाम दिख रहे हैं।
एक समय अस्पताल में मौत अधिक हो रही थी, अब मौत के मामले कम हुए हैं, इससे किस रूप में देखते हैं?
लोकनायक अस्पताल में रविवार को एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। यह बड़ी राहत की बात है। यह दूसरा मौका है जब अस्पताल में एक भी कोरोना पीड़ित मरीज की मौत नहीं हुई।
आने वाले समय में कैसी स्थिति रहने की उम्मीद है?
दिल्ली ने कोरोना पर काफी हद तक विजय हासिल कर ली है। यदि अगले दो-तीन सप्ताह में स्थिति और सुधरी तो दिल्ली का मॉडल काफी सफल हो जाएगा। फिर भी अहम बात यह है कि लोगों को कोरोना से बचाव के लिए भारतीय आयुíवज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करते रहना होगा। घर से बाहर निकलते हैं तो मास्क का इस्तेमाल जरूरत करें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। दो मीटर की शारीरिक दूरी बनाकर रखें और थोड़े-थोड़े समय के बाद साबुन से हाथ धोते रहें। इससे काफी हद तक कोरोना से बचाव संभव हो सकेगा।
अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज कब से शुरू होगा?
अन्य बीमारियों से पीड़ितों का इलाज इस अस्पताल में कब शुरू होगा, यह फैसला तो सरकार को करना है। अभी कोरोना मरीजों के इलाज में अस्पताल मुस्तैदी से जुटा हुआ है।