पिंजरा तोड़ की 'चिंगारी' से भड़की थी हिंसा की आग, जानिए इन छात्राओं को किस तरह की दी गई थी जिम्मेदारी
दिल्ली पुलिस ने आठ दिन पूर्व इस संगठन की जेएनयू में पढ़ने वाली दो छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया था।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। उत्तर-पूर्वी जिले में हिंसा भड़काने के लिए पिंजरा तोड़ संगठन की छात्राओं का प्रयोग 'चिंगारी' के तौर पर किया गया था। इन छात्राओं को शहर में आग भड़काने के लिए महिलाओं को गुमराह करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद स्कूली छात्रों को गोली मारे जाने की अफवाह फैलाकर इन लोगों ने महिलाओं को पुलिस पर पथराव के लिए उकसाया था। संगठन को पीएफआइ समेत तमाम वामपंथी संगठनों व देश विरोधी ताकतों के जरिये मोटी फंडिंग होती है। यह बातें पुलिस पूछताछ में सामने आई हैं।
दिल्ली पुलिस ने आठ दिन पूर्व इस संगठन की जेएनयू में पढ़ने वाली दो छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया था। नताशा हिस्ट्री से पीएचडी जबकि देवांगना मार्डन हिस्ट्री से एमफिल कर रही है। सूत्रों के मुताबिक दोनों से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि दिल्ली में इस संगठन से 300 से ज्यादा लड़कियां जुड़ी हुई हैं, ये दिल्ली विभिन्न विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि दिल्ली हिंसा में उनके साथ छह अन्य लड़कियों को भी सक्रिय किया गया था। दिल्ली पुलिस जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
जांच में पता चला है कि 24 फरवरी को इन्हीं दोनों छात्राओं ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं को यह कहकर भड़काया था कि स्कूल से आ रहे बच्चों को पुलिस ने गोली मार दी है। इसके बाद महिलाएं बेकाबू हो गई थीं। उन्होंने भीड़ के साथ मिलकर डीसीपी अमित सहित पुलिस टीम पर हमला बोला था। इसके बाद बुरी तरह से हिंसा भड़क गई थी।
पूछताछ के बाद दोनों को भेजा जेल
नताशा व देवांगना को जाफराबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर दो दिन पूछताछ की थी। इसके बाद रिमांड पर लेकर क्राइम ब्रांच ने भी दो दिन पूछताछ कर जेल भेज दिया। इसके बाद शुक्रवार सेल से नताशा को यूएपीए एक्ट के तहत जबकि देवांगना की भूमिका दरियागंज में हुए दंगे में सामने आने पर गिरफ्तार कर लिया गया। क्राइम ब्रांच की दो अलग-अलग यूनिट दोनों छात्राओं से पूछताछ कर रही हैं।
पीएफआइ के साथ कई बार हुई मीटिंग
सूत्रों के मुताबिक नताशा को जाफराबाद जबकि देवांगना को दरियागंज में दंगा कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए पीएफआइ के कई सदस्यों व अन्य संदिग्ध लोगों के साथ इनकी कई बार मीटिंग हुई। इसमें इन दोनों को सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रही महिलाओं को भड़काने की जिम्मेदारी दी गई थी। यही नहीं जब धरना प्रदर्शन लंबा चला और वामपंथियों का मकसद पूरा नही हो सका तो खास मीटिंग हुई जिसमें हिंसा भड़काने की रणनीति बनाई गई। इसमें पुलिस प्रशासन के प्रति महिलाओं में डर पैदा करना, लॉजिस्टिक सप्लाई करने वालों की मुलाकात महिलाओं से करवाना था। इस पूरे खेल में मोटी फंडिंग हुई थी।