घड़ियाल की मौत के मामले में चिड़ियाघर के पांच कर्मचारी दोषी
दिल्ली चिड़ियाघर में बीते माह एक मादा घड़ियाल की मौत में लापरवाही बरतने के मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी सहित पांच कर्मचारियों को दोषी पाया है। घड़ियाल की मौत 24 अप्रैल को हुई थी और तीन दिन बाद उसका शव बरामद हुआ था। मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शव तीन दिन पुराना था इसकी पुष्टि शव में मैगट को देखने और वैज्ञानिक साक्ष्य से हुई। जांच समिति ने चिड़ियाघर के एसिस्टेंट कीपर दीप कुमार और विनोद कुमार हेड कीपर राजबीर सिंह बायोलॉजिकल असिस्टेंट मनोज कुमार और पशु चिकित्सा अधिकारी अभिजीत भवाल को लापरवाही और ठीक से ड्यूटी न करने का दोषी पाया है। जांच समिति में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की पशु चिकित्सा सलाहकार मृणालिनी सैनी जू रेंजर सौरभ वशिष्ठ और प्रयोगशाला सहायक राकेश कुमार शर्मा शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दिल्ली के चिड़ियाघर में बीते माह हुई मादा घड़ियाल की मौत के मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी सहित पांच कर्मचारियों को लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया है। घड़ियाल की मौत 24 अप्रैल को हुई थी और तीन दिन बाद उसका शव बरामद हुआ था। मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शव तीन दिन पुराना था। इसकी पुष्टि शव में मैगट को देखने और वैज्ञानिक साक्ष्य से हुई। जांच समिति ने चिड़ियाघर के असिस्टेंट कीपर दीप कुमार और विनोद कुमार, हेड कीपर राजबीर सिंह, बायोलॉजिकल असिस्टेंट मनोज कुमार और पशु चिकित्सा अधिकारी अभिजीत भवाल को लापरवाही और ठीक से ड्यूटी न करने का दोषी पाया है। जांच समिति में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की पशु चिकित्सा सलाहकार मृणालिनी सैनी, जू रेंजर सौरभ वशिष्ठ और प्रयोगशाला सहायक राकेश कुमार शर्मा शामिल हैं।
जांच समिति ने हेड कीपर को चिड़ियाघर के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करने और लापरवाही को छिपाने का दोषी पाया है। जांच समिति ने कहा कि असिस्टेंट कीपर दीप कुमार ने 24 और 25 अप्रैल को रिकॉर्ड में कहा कि घड़ियाल सहित सभी जानवर अच्छी स्थिति में थे, जो तथ्यात्मक रूप से गलत था। उसने जानवर को देखे बिना ही रिकार्ड में इंट्री की थी। जांच रिपोर्ट में हेड कीपर विनोद कुमार ने स्वीकार किया है कि उसने घड़ियाल को शारीरिक रूप से नहीं देखा था और प्रतिदिन के रिकार्ड के अनुसार इंट्री की थी, वहीं हेड कीपर राजबीर सिंह ने खुद घड़ियाल का निरीक्षण नहीं किया था। बायोलॉजिकल असिस्टेंट मनोज कुमार ने रिकार्ड में लिखा कि घड़ियाल को 24 और 25 अप्रैल को सामान्य रूप से व्यवहार करते देखा गया था। पशु चिकित्सा अधिकारी अभिजीत भवाल ने 23 से 26 अप्रैल तक घड़ियाल को नहीं देखा, जबकि यह पशु चिकित्सा अधिकारी का कर्तव्य है कि वे चिड़ियाघर में सभी जानवरों की जांच करें और टिप्पणियों को रिकॉर्ड करें। मामले में राजबीर सिंह को निलंबित किया गया है। अन्य के खिलाफ कार्रवाई लंबित है।
सीजेडए के पूर्व सदस्य सचिव डीएन सिंह ने कहा कि यह जानवरों की देखभाल और देखभाल के लिए जिम्मेदार सभी कर्मचारियों की ओर से एक बड़ी चूक थी। प्रतिदिन चिड़ियाघर के सभी जंगली जानवर को व्यक्तिगत रूप से देखना अनिवार्य है। यह देखना उनका काम है कि जानवर ने सामान्य व्यवहार करते हुए भी पूरा खाना खाया है या नहीं। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि सभी अवलोकन और रिपोर्ट जानवरों को देखे बिना लिखी गई है। डीएन सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली चिड़ियाघर को पर्यावरण मंत्रालय के वन्यजीव विग से सीजेडए में स्थानांतरित करने से चिड़ियाघर के प्रबंधन में कोई सुधार नहीं हुआ है। दिल्ली के चिड़ियाघर में हुई मौतों के कुछ आंकड़े
-अप्रैल 2018 से जून 2019 तक 245 मौतें दर्ज हुई।
-पांच वर्ष में है दूसरी सबसे अधिक मृत्यु दर का आंकड़ा।
-2018-19 में मृत्यु दर 15.12 प्रतिशत थी, जो देश के सभी प्रमुख चिड़ियाघरों में सबसे अधिक है।
-चिड़ियाघर से जिराफ, जेबरा और चिपांजी की अपनी सारी प्रजाति खत्म हो गई है।
-2016 से अब तक जानवरों की 10 प्रजातियों के जानवर खत्म हो गए हैं।