एम्स में पीपीई गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले को पद से हटाया, अब तक 200 लोग हो चुके हैं संक्रमित
आरडीए का कहना है कि दो तिहाई सदस्यों की सहमति से यह कार्रवाई की गई है क्योंकि डॉ. श्रीनिवास ने मीडिया में गलत बयान दिया।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना के संक्रमण के बीच एम्स में डॉक्टरों के बीच टकराव भी बढ़ता दिख रहा है। संस्थान में स्वास्थ्य कर्मियों को उपलब्ध कराए जाने वाली पीपीई किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाना और एम्स प्रशासन पर धमकी देने का आरोप लगाना आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) के महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार को भारी पड़ा। एम्स आरडीए ने उन्हें महासचिव पद से हटा दिया है। आरडीए ने बयान जारी कर उनके निष्कासन की जानकारी दी है।
आरडीए का कहना है कि दो तिहाई सदस्यों की सहमति से यह कार्रवाई की गई है, क्योंकि डॉ. श्रीनिवास ने मीडिया में गलत बयान दिया। वह एसोसिएशन की कार्यकारिणी को दरकिनार कर कई बार बयान जारी कर चुके हैं। आरडीए के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने कहा कि हाल ही में डॉ. श्रीनिवास ने बयान दिया है कि एम्स में स्वास्थ्य कर्मचारियों को ऐसी पीपीई किट उपलब्ध कराई जा रही है, जिसकी गुणवत्ता खराब है।
उन्होंने मीडिया में यह भी आरोप लगाया था कि संस्थान प्रशासन में मामला दर्ज कराने की धमकी भी दे रहा है। यह आरोप गलत है। एम्स प्रशासन ने कभी किसी डॉक्टर को इस तरह की धमकी नहीं दी। उल्लेखनीय है कि एम्स में अभी तक करीब 200 कर्मचारी और उनके परिवार के लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इस वजह से पीपीई किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे।
कर्मचारी बाहर से लेकर आए कोरोना का संक्रमण
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अपने एक बयान में कहा है कि संस्थान में पीपीई किट की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाता। पीपीई किट केंद्र सरकार द्वारा एचएलएल कंपनी के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है, जिसे गुणवत्ता जांच के बाद ही संस्थान में लाया जाता है। इसके अलावा एम्स ने भी एक आंतरिक कमेटी बनाई है, जो किट की गुणवत्ता जांच करती है। इसके बाद ही पीपीई किट कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जाती है।
जांच में जो किट खराब पाई गई, उन्हें कंपनियों को वापस कर दिया गया। उन्होंने कहा कि एम्स में कोविड वार्ड में काम करने वाले सिर्फ दो-तीन कर्मचारी ही अब तक कोरोना से संक्रमित हुए हैं। ज्यादातर वे कर्मचारी संक्रमित हुए हैं जो गैर कोविड एरिया में काम करते हैं। इसका कारण यह है कि वे जहां रहते हैं, वहां संक्रमण फैला हुआ है। उन्हें एम्स में संक्रमण नहीं हुआ, बल्कि वे जहां रहते हैं वही उन्हें संक्रमण हुआ।