एनजीओ का दावा, आतंकी संगठन ने रची थी दंगे की साजिश
जागरण संवाददाता नई दिल्ली नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की रिपोर्ट एनजीओ कॉल फार जस्टिस की फैक्ट फाइडिंग टीम ने तैयार की है। इसमें दावा किया गया है कि दंगा पूर्व नियोजित था और इस साजिश में इस्लामिक आतंकी संगठनों व बांग्लादेशी घुसपैठियों का भी हाथ है। यही नहीं चिंताजनक बात यह है कि इसे अंजाम देने वाले लोगों को राजनीतिक दलों के नेताओं का भी साथ मिला है। ताकि देश की छवि को ट्रंप के दौरे के बीच देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल किया जा सके। यह रिपोर्ट टीम ने गृह मंत्री अमित शाह को सौंपने के साथ ही दंगे की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) से कराए जाने की मांग की है। ?चार सदस्यीय टीम का नेतृत्व मुंबई हाई कोर्ट के पूर्व जज अंबादास जोशी ने कर रहे थे। इसमें पूर्व आइपीएस विवेक दुबे व एमएल मीणा के अलावा एम्स के पूर्व निदेशक टीडी डोगरा शामिल थे। एनजीओ के ट्रस्टी चंद्रा वाधवा ने बताया कि इस टीम ने घटनाक्रम के आगे पीछे के इलेक्ट्रानिक्स साक्ष्यों को खंगाला और उनकी कड़ियों को जोड़कर साजिश का पता लगाया। कश्मीर, अयोध्या और तीन तलाक जैसे मामले सुलझ जाने से कुछ लोग चिढ़े हुए थे। ऐसे में अतिवादी संगठनों ने इसे सीएए के नाम पर देश के हितों के खिलाफ भुनाने की कोशिश की और व्यापक अभियान चलाया। इसके बाद योजना तैयार करके इसकी जानकारी धर्म विशेष के लोगों को दे दी गई थी। इसलिए 24 फरवरी को उन लोगों ने स्कूलों में छुट्टी करा दी थी। धर्म विशेष के लोग जहा काम करते थे। उन प्रतिष्ठानों और बैंकों को भी बंद करा दिया गया। दूसरे धर्म के लोगों के घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान पहले से ही चिह्नित कर लिए थे। हमले में बड़ी मात्रा में पत्थर, पेट्रोल बम, धारदार हथियार, देशी बंदूक और तेजाब के पैकेट का इस्तेमाल किया गया।
यही नहीं योजना के तहत ही सीएए को हिदू बनाम मुस्लिम बताकर सोशल मीडिया से लेकर अन्य माध्यमों से कुप्रचार किया गया। इसमें बकायदा बड़े स्तर पर आíथक मदद की गई। इस दंगे में एक आइबी अधिकारी व दिल्ली पुलिस के दो जवानों के साथ कुल 53 लोगों की जान गई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए।