श्रमिकों का अपने राज्यों में जाने के दौरान खाने-पानी की समस्या, उपभोक्ता अधिकारों का हो रहा उल्लंघन
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न राज्यों में ले जाने के दौरान उन्हें खाने से लेकर पानी तक की समस्या हुई है। यह मानवाधिकारों ही नहीं उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। श्रमिकों को विभिन्न राज्यों में ले जाने के दौरान उन्हें खाने से लेकर पानी तक की समस्या हुई है। यह मानवाधिकारों ही नहीं उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। इसे लेकर ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क ने विभिन्न राज्यों में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है। संस्था से जुड़े अधिवक्ता गुंजन सिंह ने कहा कि श्रमिकों से लेकर छात्रों तक सभी को अपन गृह क्षेत्र पहुंचने में परेशानी हो रही है। यह सीधे तौर पर प्रशासनिक विफलता है, जिसमें लोगों के जीने से लेकर खाने और स्वच्छ जल पीने के अधिकारों तक की अनदेखी हुई है। इसलिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले को संज्ञान लेकर दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मामले को संज्ञान ले
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से सेवानिवृत्त संयुक्त रजिस्ट्रार अनिल कुमार पराशर कहते हैं कि आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू होने पर व्यक्ति के अधिकार और बढ़ जाते हैं। इसमें नागरिक के फंसे होने पर उसे अपनी रक्षा का अधिकार से लेकर मदद लेने और पुनर्वास जैसे अधिकार प्राप्त भी हो जाते हैं। ऐसे में जो लोग चाहें वह श्रमिक हो या फिर छात्र हो सभी को अधिकार है कि वह सुरक्षित घर पहुंचे। ऐसे मामलों पर संज्ञान लिए जाने की आवश्यकता है। हालांकि, कई मामलों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान भी लिया।
उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं पीड़ित
दिल्ली स्टेट एंड जिला कंज्यूमर कोर्ट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव निखिलेश जैन कहते हैं कि रेलवे राज्य और केंद्र सरकार से मिलकर लोगों को ट्रेन से गृह राज्य पहुंचा रही है। ऐसे में जिस व्यक्ति के नाम से टिकट बन गया है, उस व्यक्ति के बतौर उपभोक्ता अधिकार बन जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत उपभोक्ता फोरम में कर सकता है। ट्रेन के देरी से पहुंचने से लेकर उन्हें जरूरी वस्तुएं न उपलब्ध कराना उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन है। ऐसे में नागरिक अपने-अपने राज्यों के उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं।