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दिल्ली-NCR में पेट्रोल-डीजल व CNG की खपत में भारी गिरावट, सरकार को नुकसान

Coronavirus Lockdown दिल्ली एनसीआर में पेट्रोल-डीजल के साथ ही सीएनजी की मांग में 85 से 90 फीसद तक की गिरावट आ गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 06:39 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 06:39 PM (IST)
दिल्ली-NCR में पेट्रोल-डीजल व CNG की खपत में भारी गिरावट, सरकार को नुकसान
दिल्ली-NCR में पेट्रोल-डीजल व CNG की खपत में भारी गिरावट, सरकार को नुकसान

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। लॉकडाउन में वाहनों के पहिए थमने से ईंधन की मांग में भारी गिरावट आई है। दिल्ली एनसीआर में पेट्रोल-डीजल के साथ ही सीएनजी की मांग में 85 से 90 फीसद तक की गिरावट आ गई है। वैसे, पूरे विश्व में यहीं हालात है, इसलिए वैश्विक स्तर पर पेट्रो पदार्थों की मांग में तेज गिरावट आई है। इसलिए वैश्विक स्तर पर इनके दाम में गिरावट आई है। पर दिल्ली में मांग में जबरदस्त गिरावट का असर दिल्ली सरकार के राजस्व में दिखना स्वभाविक है।

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पेट्रो पदार्थ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की जगह वैट में आता है। लॉक डाउन में निजी वाहनों के साथ व्यावसायिक वाहनों को चलाने पर पाबंदी है। केवल जरूरी सेवा से जुड़े वाहन और अनिवार्य जरूरी वस्तुएं ले जाते व्यावसायिक वाहनों को ही चलाने की अनुमति है। मांग में ऐतिहासिक गिरावट के चलते फिलहाल सीएनजी गैस प्रदाता कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने अपने 520 स्टेशनों में से 465 स्टेशनों की सेवा स्थगित कर डी है। इन्हें बंद कर दिया गया है। बाकि के 55 स्टेशनों पर भी सीमित सुविधा ही उपलब्ध है।

हालांकि, दिल्ली में मौजूद 400 से अधिक पेट्रोल पंप स्टेशन संचालित तो हो रहे हैं पर इनके सभी पंपों की जगह एक-दो पंप चलाए जा रहे हैं। वहीं, कर्मचारियों की संख्या घटा दी गई है। सामान्य दिनों में एक पेट्रोल पंप पर 15 से 20 कर्मचारियों की जगह मात्र 2 या 4 कर्मचारी ही सेवा में लगे हैं। पेट्रोल पंप संचालकों के मुताबिक अगर ये जरूरी सेवा में नहीं आता तो वह अधिकांश पेट्रोल पंप बंद कर देते, लेकिन जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों की सुविधा को देखते हुए सभी पेट्रोल पंपों को चलाया जा रहा है। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल बिजलानी के मुताबिक लॉक डाउन में सड़क पर केवल पुलिस, अस्पताल, जरूरी सेवा से जुड़े विभाग और आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करते वाहनों को ही चलने की अनुमति है। मीडिया के वाहनों को चलने की अनुमति है।

दिल्ली सार्वजनिक परिवहन निगम ( डीटीसी) की 25 फीसद बसें भी सड़क पर है। बाकि निजी बसें और ट्रकों के अलावा सड़क पर आम दिनों में उतरने वाले तकरीबन 90 वाहन सड़कों से गायब है। इसलिए मांग एकदम से घट गई है। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने बताया कि पेट्रोल में जहां 10 फीसद वहीं, डीजल की मांग मुश्किल से 15 फीसद तक है। जबकि सामान्य दिनों में दिल्ली में पेट्रोल की खपत प्रति माह 10 करोड़ लीटर व डीजल की 8 करोड़ लीटर है।

वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए नहीं लगता कि यह लॉकडाउन इस माह के मध्य तक खत्म होगा। इसी तरह आम दिनों में आइजीएल स्टेशनों से दिल्ली-एनसीआर में 34-35 लाख किलो सीएनजी की खपत होती है। जो घटकर मुश्किल से 4-5 लाख किलो ही रह गई है। इसी को देखते हुए आइजीएल ने अपने अधिकांश स्टेशन बंद कर दिए हैं। वैसे, पेट्रोल पंप स्टेशनों पर मौजूद सीएनजी पंप चल रहे हैं। वहां भी मांग कमोबेश यहीं है। मांग में इस कमी का राज्य सरकार के राजस्व पर बड़ा असर पड़ेगा।

दिल्ली सरकार द्वारा 27. 5 फीसद पेट्रोल व डीजल पर 16. 5 फीसद वैट वसूला जाता है। जो राज्य सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा होता है। एक पेट्रोल पंप के मालिक निशिथ गोयल ने कहा कि मौजूदा समय में पेट्रोल पंप चलाना मुश्किल भरा है, क्योंकि कर्मचारी भी कोरोना को लेकर डरे हुए हैं। उनका लोगों से सीधे संपर्क होता है। वैसे, उन्हें जरूरी बचाव इंतजाम दिए गए हैं। बुजुर्ग और मधुमेह, ब्लडप्रेसर के मरीजों को भी सेवा से अलग रखा गया है।


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