Move to Jagran APP

संघ प्रमुख बोले, हिंदुओं को प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए, खुलापन ही हिंदू समुदाय की पहचान

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि खुलापन हिंदुओं की पहचान है जिसकी रक्षा की जानी चाहिए। उन्‍होंने नसीहत दी कि हिंदुओं को प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 10:04 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 07:42 AM (IST)
संघ प्रमुख बोले, हिंदुओं को प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए, खुलापन ही हिंदू समुदाय की पहचान
संघ प्रमुख बोले, हिंदुओं को प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए, खुलापन ही हिंदू समुदाय की पहचान

नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि खुलापन हिंदुओं की पहचान है, जिसकी रक्षा की जानी चाहिए। भागवत के मुताबिक हिंदुओं के जागरण की आवश्यकता है, लेकिन यह किसी के खिलाफ नहीं होना चाहिए। हिंदुओं को प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए। संघ प्रमुख ने दिल्ली के छतरपुर में पूरे देश के 70 स्तंभकारों के साथ संवाद किया। यह बंद दरवाजे के भीतर हुई बैठक थी।

loksabha election banner

भागवत की कोशिश संघ के प्रति लोगों के मन में व्याप्त कतिपय भ्रांतियों को दूर करने की थी। बैठक में मौजूद रहे कई स्तंभकारों ने यह विचार व्यक्त किया कि तमाम विषयों पर यह संवाद अर्थपूर्ण और फलदायी रहा। एक स्तंभकार के मुताबिक, संघ प्रमुख ने खुलेपन संबंधी हिंदू समुदाय की विशेषता पर जोर दिया। भागवत ने कहा, हम किसी का वर्गीकरण नहीं करते। किसी पर हमें कोई संदेह नहीं है।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और इसके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर भागवत ने कहा कि किसी भी कानून को नापसंद किया जा सकता है और उसमें बदलाव की मांग की जा सकती है, लेकिन इसके नाम पर न तो बसें जलाई जा सकती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद किया जा सकता है। भागवत ने कहा, बसों को जलाना लोकतंत्र नहीं है। अब वही लोग भारत का झंडा लहरा रहे हैं, संविधान की बात कर रहे हैं। भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं। तो कौन बदल रहा है? कौन जीत रहा है? भागवत ने गत वर्ष देश में काम कर रहे विदेशी मीडिया संगठनों के प्रतिनिधियों से बात की थी। 

संघ प्रमुख ने बीते शनिवार को अहमदाबाद में कहा था कि भौतिकवादी सुख-सुविधाओं में कई गुणा वृद्धि के बावजूद समाज में हर कोई नाखुश है और निरंतर आंदोलन कर रहा है। चाहे वह मालिक हो या नौकर, विपक्षी दल हो या आम आदमी, छात्र हो या शिक्षक, हर कोई नाखुश और असंतुष्ट है। भारत को धर्म (ज्ञान) देना है ताकि ज्ञान फैले लेकिन मनुष्य रोबोट न बने। हमने हमेशा वैश्विक परिवार की बात की है ना कि वैश्विक बाजार की। संघ प्रमुख ने कहा था कि यह सोचना कि हम बेहतर दुनिया में रह रहे हैं, यह आधा सच है। दुनिया में सुविधाओं का समान बंटवारा नहीं हुआ है। आज भी जंगल राज कायम है। सक्षम व्यक्ति गरीब को कुचलकर आगे बढ़ रहा है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.