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    Nirbhaya Case: कैसे कानून से खिलवाड़ कर रहे हैं निर्भया के दोषी? केंद्र ने दिल्ली HC को बताया

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 03 Feb 2020 02:26 PM (IST)

    Nirbhaya Case तुषार मेहता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2018 में याचिका खारिज होने के 225 दिन के बाद दोषी विनय ने पुनिर्विचार याचिका दायर की। ...और पढ़ें

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    Nirbhaya Case: कैसे कानून से खिलवाड़ कर रहे हैं निर्भया के दोषी? केंद्र ने दिल्ली HC को बताया

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Nirbhaya Case : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों की फांसी का इंतजार पीड़ित परिवार समेत पूरा देश कर रहा है, लेकिन कानूनी दांवपेच के चलते शायद अभी और इंतजार करना पड़े। कानूनी पहलुओं को देखें तो अब भी जघन्य अपराध में शामिल दो दोषियों अक्षय और पवन के पास कानूनी उपचार का प्रावधान बाकी है। इसे लेकर रविवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सुरेश कैट की पीठ के समक्ष एक खाका पेश किया। उन्होंने दोषियों द्वारा कानूनी उपचार की आड़ में कानून से किए जा रहे खिलवाड़ की तस्वीर पेश की।

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    तुषार मेहता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2018 में याचिका खारिज होने के 225 दिन के बाद दोषी विनय ने पुनिर्विचार याचिका दायर की। वहीं 549 दिन के बाद उसने क्यूरेटिव पिटिशन (जनवरी 2020)दायर की जोकि खारिज हो चुकी है। इसके बाद उसने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की। एक फरवरी 2020 को राष्ट्रपति ने उसकी याचिका खारिज कर दी है। दूसरी ओर, अक्षय ने 950 दिन के बाद पुनिर्विचार याचिका दायर की थी जोकि खारिज हो चुकी है। जनवरी 2020 में उसने क्यूरेटिव पिटिशन दायर की और उसकी दया याचिका पर अभी फैसला लंबित है। उन्होंने कहा कि पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है और उसने अब तक न तो क्यूरेटिव पिटिशन दायर की है और न ही दया याचिका। मुकेश की क्यूरेटिव पिटिशन व दया याचिका खारिज हो चुकी है।

    नाबालिग होने का दावा भी खारिज

    पवन गुप्ता ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका दायर कर दलील दी थी कि वर्ष 2012 में घटना के दौरान वह नाबालिग था। हालांकि, उसकी दलील को ठुकराते हुए सभी अदालतों ने याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने इसके खिलाफ पुनिर्विचार याचिका दायर की थी। वह भी खारिज हो चुकी है।

    सभी दोषियों की कानूनी प्रक्रिया अपनाने की स्थिति

    डेथ-वारंट : डेथ वारंट के खिलाफ विनय, अक्षय व पवन गुप्ता ने याचिका दायर की है। इनके डेथ वारंट पर निचली अदालत ने रोक लगा दी थी। मुकेश डेथ वारंट के खिलाफ नहीं जा सकता, क्योंकि उसके दांव खत्म हो चुके हैं। हालांकि, मुकेश के अधिवक्ता ने आवेदन दाखिल कर मांग की है कि अपराध में शामिल सभी दोषियों का कानूनी उपचार पूरा होने तक उसे भी फांसी न दी जाए।

    क्यूरेटिव पिटिशन : विनय शर्मा, मुकेश कुमार और अक्षय सिंह ने क्यूरेटिव पिटिशन का इस्तेमाल कर लिया है। वहीं पवन अब तक सुप्रीम कोर्ट नहीं गया है।

    दया याचिका : मुकेश, विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। जबकि अक्षय की दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है। वहीं, पवन ने अब तक दया याचिका दाखिल नहीं की है।