सिख विरोधी दंगे में मृतकों के आश्रितों को नौकरी में उम्र की बाधा दूर, दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगे में मृतकों के आश्रितों को नौकरी देने के नियमों में बदलाव किया है। अब अधिक उम्र वाले आश्रितों के बच्चे भी नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। नई नीति में आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में छूट दी गई है, जिससे पीड़ित परिवारों को लाभ मिलेगा।
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राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे में मृतकों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर दिल्ली सरकार में नौकरी प्राप्त करने में आने वाली बाधा दूर हो गई है। कई मृतकों के आश्रित पत्नी या बच्चे की उम्र अधिक होने के कारण वह नौकरी के लिए अयोग्य हो गए हैं। अब इस तरह के आश्रितों के बच्चे भी नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार को हुई दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक में वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे में मारे गए लोगों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर रोजगार प्रदान करने की नीति से संबंधित निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा, कई मृतकों के आश्रित अब 50 वर्ष या उससे भी अधिक आयु के हो चुके हैं। वह नौकरी प्राप्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्हें परिवार की अगली पीढ़ी जैसे पुत्र, पुत्री, बहू या दामाद को नौकरी के लिए नामित करने का विकल्प दिया गया है। इससे पीड़ित परिवार के सदस्य को नौकरी मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नई नीति में आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में आवश्यक छूट प्रदान की गई है। यह सभी प्रविधान दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश और विधिक प्रक्रिया के अनुरूप होंगे। साथ ही सत्यापन, शिकायत निवारण एवं विभागीय आवंटन के लिए एक पारदर्शी और सुव्यवस्थित तंत्र स्थापित किया गया है, जिससे नियुक्तियों की प्रक्रिया न्यायसंगत और जवाबदेह ढंग से संचालित हो सके।

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